Wednesday, December 28, 2016

हर हाल में मुस्कुराता है...


गजल-2

इस शहर में जीने के अंदाज निराले हैं,
होठों पर लतीफे हैं, आवाज में छाले हैं।
करते हैं जो मुंह पर, चिकनी चुपड़ी बातें,
कभी आजमा लेना, दिल के कितने काले हैं।
बंद कमरों में करते हैं, जो दावे बड़े-बड़े,
भरी महफिल में, उनके लबों पर ही ताले हैं।
कमाल का शख्स है वह, हर हाल में मुस्कुराता है
एेसे ही बंदे तो 'माही' कहलाते दिलवाले हैं।

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