Wednesday, December 28, 2016

पुलिसवाला

मेरी 15वीं कहानी
तीखे नयन नक्श तथा गठीले शरीर वाला वह नौजवान बड़े ही आत्मविश्वास के साथ मेरे पास आया। उसने आते ही पूछा ' अशोक जी, आप ही हैं?' मैंने असहमति में सिर हिलाया और बगल में बैठे युवक की तरफ इशारा कर दिया। दरअसल, अशोक मेले की व्यवस्था देखने वाले का नाम था लेकिन उस वक्त वह अपनी सीट पर मौजूद नहीं था जबकि मैं उसकी बगल वाली सीट पर बैठा था। मेरा इशारा भांपकर उसने पड़ोस में बैठे युवक से भी यही सवाल दागा तो उसने कहा, हां बोलिए क्या काम है। वह बोला मैं पुलिस में हूं। मेरे को दो जनों के लिए झूले का पास चाहिए। बैठे हुए युवक ने थोड़ी तल्खी दिखाते हुए कहा, अच्छा पुलिस वाले हो। जरा अपना आईडी कार्ड तो दिखाइए। इतना कहते ही नौजवान की आंखों में चमक आ गई। उसने फट से अपना पर्स टटोला और उसमें कार्ड निकाल कर दिखा दिया। युवक ने संतुष्ट होने के बाद सहमति में सिर हिलाया। उस नौजवान को तो जैसी मुंह मांगी मुराद मिल गई थी। बैठे हुए युवक ने कड़क आवाज में फिर कहा, सुनो केवल एक झूला ही निशुल्क रहेगा। युवक हां कहता हुआ झूले की तरफ बढ़ गया जबकि मैं सब देखकर मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

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