Wednesday, December 28, 2016

हिमाकत

मेरी 17वीं कहानी

अलसुबह मोबाइल की घंटी से मेरी आंख खुल गई। मैं उठाता उससे पहले फोन कट गया। मोबाइल रख कर मैं फिर सो गया। अचानक मोबाइल वाइब्रेट हुआ। देखा तो व्हाट्सएप पर मैसेज था। यह वो ही नंबर था, जिससे थोड़ी देर पहले फोन आया था।
मोबाइल स्क्रीन पर मैसेज डिस्प्ले हुआ ' हैलो सर'
मैंने पूछा आप?
जवाब आया ' सर आपसे बात करनी है पर डर लगता है। '
मैंने कहा रहने दो फिर ।
थोड़ी देर बाद नया मैसेज आया। ' सर वो अगस्त में अपने प्रेमी अमित के साथ भागी लड़की सुषमा लौट आई है।'
मैं चौंका और प्रत्युतर में लिखा कि ' तो '।
उसने फिर लिखा, ' सर वह पांच माह के गर्भ से है। और वह बच्चा अमित का है। '
मैंने फिर वही सवाल दोहरा या ' तो'।
वह कहता रहा ' सुषमा अपने पति के पास है। '
मैंने कहा कि आप अमित हो?
उसने हां लिखा और कहने लगा 'सर मेरी मदद कीजिए। सुषमा का पति वह गर्भ गिराना चाहता है। '
मैंेने फिर 'तो ' ही लिखा तो उसने कहा ' पेट में पल रहा बच्चा मेरा है। वो उसे मार देंगे।'
मैंने कहा कि आपने गलत किया।
इस पर कहने लगा ' सर, मैं तो गलत हूं लेकिन उस बच्चे का क्या कसूर? '
मैंने उसे वकील से मिलने की सलाह देते हुए किसी तरह पीछा छुड़ाया पर उसकी हिमाकत पर हैरान था।

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