Friday, May 25, 2018

इक बंजारा गाए-32

अंदर की बात
कई बार जो वास्तव में होता है वह दिखाई नहीं देता। और जो दिखाई देता है वह पूरा सच नहीं होता। ऐसा सभी मामलों में नहीं होता है लेकिन कभी-कभार हो जाता है। श्रीगंगानगर के गोलबाजार स्थित एक होटल का मामला जिस तेजी से उछला उसी गति से शांत भी हो गया। लोगों के समझ नहीं आ रहा है कि आखिर बिना कोई कार्रवाई हुए यह मामला यकायक ठंडा कैसे पड़ गया। आखिर इसके पीछे का राज क्या है। दबे स्वर में चर्चा हो रही है कि इस मामले में शिकायत करने वाले ही बैकफुट पर आ गए। इतना ही नहीं कहने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि दोनों ही पक्षों में अंदरखाने समझौता हो गया। लिहाजा अब होटल के टूटने या हटने का खतरा फिलहाल तो टल गया बताते हैं। वैसे बताया जा रहा है कि गोलबाजार में ही एक अन्य मल्टी स्टोरी बिल्डिंग को लेकर भी शिकायतें खूब हो रही हैं लेकिन प्रशासन इस पर कार्रवाई करने से हिचकिचा रहा है। इस बिल्डिंग के बेनामी मालिक शहर के प्रभावशाली लोग बताए जा रहे हैं।
राजनीति का चस्का
राजनीति का चस्का जिसको लग जाए फिर उसका तो फिर भगवान ही मालिक है। इन दोनों श्रीगंगानगर के सूरतगढ़ की दो महिलाओं पर राजनीति का जबरदस्त चस्का लगा है। शराब बंदी के बहाने दोनों सियासत में आना चाहती हैं। दोनों रिश्ते में देवरानी-जेठानी लगती हैं लेकिन दोनों में प्रतिद्वंद्विता इस कदर है कि एक ने तो दूसरी को पहचाने से ही इनकार कर दिया। भला यह कैसे संभव हो सकता कि देवरानी अपनी जेठानी को ही न जाने, लेकिन राजनीति पता नहीं क्या-क्या करवा देती है। दोनों ही महिलाओं का खुद का कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है लेकिन फिर भी दोनों जुटी हुई हैं। दबे स्वर में चर्चा है कि इन दोनों महिलाओं के पीछे कोई दूसरी ताकत काम कर रही है। जेठानी के तामझाम देखकर तो लोग माथा पकड़ लेते हैं। लग्जरी गाड़ी, सुरक्षाकर्मी और पीआरओ की टीम। इस तरह के जलवे देखकर कहा जा रहा है कि जरूर पर्दे के पीछे कोई है जो इनका समर्थन कर रहा है।
सीएम का सपना
सपने दिखाने और बड़े-बड़े वादे करने वाले सेठजी का एक बयान इन दिनों अच्छी खासी चर्चा में है। हुआ यूं कि कभी सेठजी की पार्टी से चुनाव जीतकर विधानसभा में जाने वाले एक महिला नेत्री का अचानक सेठजी की पार्टी से मोह भंग हो गया। इतना ही नहीं महिला नेत्री ने उस पार्टी का दामन थाम लिया, जिससे इन दिनों सेठजी का वास्ता कम ही पड़ा है। खैर, चर्चा व चटखारे की बात तो यह है कि महिला नेत्री के जाने के बाद सेठजी प्रचारित कर रहे हैं कि वो तो उसको सीएम तक बनाना चाह रहे थे। अब सीएम का सपना उन्होंने दिखाया या नहीं यह तो सेठजी या महिला नेत्री ही जाने लेकिन इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हंसी के फव्वारे छूट रहे हैं। हंस-हंस के लोगों के पेट में बल पड़ रहे हैं। महिला नेत्री ने तो पुराने पार्टी को छोटा कह कर अपनी बात पूरी कर दी अब तो सेठजी ही बता पाएंगे कि वो महिला नेत्री को सीएम बनाने का सपना आखिरकार कैसे पूरा करके दिखाते।
पानी की कहानी
श्रीगंगानगर में इन दिनों प्रदूषित पानी का मामला गहराया हुआ है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से पानी को लेकर धरना प्रदर्शन आदि कर रहे हैं। कई संगठन भी इस मामले में सक्रिय है। सभी अपने अपने स्तर पर पानी को दूषित बता रहे हैं। इसके लिए आरोप-प्रत्यारोप तक भी लग रहे हैं। एक दल दूसरे दल को जिम्मेदार बता रहा है, जबकि हकीकत में यह मसला पुराना है। कोई भी दल इस मसले से अछूता नहीं है। सभी ने इस मसले को देखा और जाना है लेकिन समाधान के मामले में आंख मूंद ली है। वैसे भी सरकारें आमजन को स्वच्छ व शुद्ध पानी पिलाने का दावा तो जरूर करती हैं लेकिन दावा शायद ही कभी पूरा हो पाता है। कल केन्द्रीय मंत्री के घेराव में भी उनकी पार्टी के कम और दूसरे दल के लोग ज्यादा थे, जबकि दूषित पानी की समस्या सबकी है। इस मसले को तो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सोचना चाहिए लेकिन फिर भी सब अपनी-अपनी ढपली अलग-अलग तरीके से बजाने से बाज नहीं आ रहे।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 24 मई 18 के अंक में प्रकाशित 

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