Thursday, February 14, 2019

यह उपेक्षा क्यों?



टिप्पणी
इसमें कोई दो राय नहीं कि बीकानेर रेल मंडल ने पिछले दो साल में क्षेत्र को कई रेलों की सौगात दी है। इनमें छोटे व बड़े दोनों रूटों की रेल शामिल हैं। इसके बावजूद श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ के लोगों के लिए जयपुर अभी भी दूर है। उन्हें रेल सेवाओं के विस्तार का लाभ उतना ही नहीं मिला, जितना कि अब तक मिल जाना चाहिए था। नए रूट बनाना तथा उन पर रेल चलाना नीतिगत फैसला हो सकता है लेकिन उसमें यह भी देखना चाहिए कि क्या यह व्यवहारिक या न्याय संगत हैं? उसमें किसी की उपेक्षा तो नहीं हो रही है? अब इन चार उदाहरणों से समझिए कि क्षेत्र के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले के लोगों का सफर लंबा या अधूरा कैसे हो रहा है। श्रीगंगानगर से सादुलपुर के लिए इंटरसिटी चल रही है। जयपुर जाने वाले यात्री के लिए राजगढ़ से कोई सुविधा नहीं है। यात्री चूरू जाए या चूरू से सीकर जाए बस इतना ही कर सकता है। या फिर बस पकड़े। बिलासपुर से बीकानेर के बीच साप्ताहिक ट्रेन चलती है लेकिन यह बीकानेर से चलकर सूरतगढ़ से हनुमानगढ़ होकर आगे जाती है। इससे श्रीगंगानगर के यात्री वंचित हैं। एेसे में उन्हें सूरतगढ़ या हनुमानगढ़ जाकर ट्रेन पकडऩी पड़ती है। दूसरा यह है कि इस ट्रेन का रूट राजगढ़, चूरू, रतनगढ़, डेगाना होकर जयपुर है। एेसे में जयपुर का सफर लंबा हो गया। इतना लंबा घूमकर कौन जाएगा? अब एक नई साप्ताहिक ट्रेन शनिवार को बीकानेर से इंदौर के बीच चलेगी। इस ट्रेन का रूट श्रीडूंगरगढ़, रतनगढ़, चूरू, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, सीकर, रीगंस, फुलेरा, अजमेर होते हुए इंदौर रखा गया है। इस ट्रेन से प्रत्यक्ष रूप से हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर के यात्रियों को फायदा नहीं है। दूसरी बात यह रेल राजधानी होकर नहीं निकलेगी। सबसे बड़ी चकित करने वाली बात तो यह है कि सूरतगढ़ से हनुमानगढ़ के बीच 27 जनवरी से रोजाना स्पेशल रेल चलेगी। इस रेल में नौ साधारण श्रेणी व दो गार्ड डिब्बों सहित 11 कोच होंगे। हनुमानगढ़ से सूरतगढ़ के बीच दूरी मात्र पचास किलोमीटर हैं। हनुमानगढ़ के बीच तीन स्टेशन हैं, रंगमहल, पीलीबंगा व डबलीराठान। इस लिहाज से इस रेल से लाभान्वित होने वाले यात्री खुशकिस्मत हैं। लेकिन सवाल यहीं से खड़े होते हैं। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ को जयपुर जोडऩे की इच्छा शक्ति न तो रेलवे की लगती है न ही यहां के जनप्रतिनिधियों की। क्या सूरतगढ़-हनुमानगढ़ जैसी ट्रेन सीकर तक नहीं चल सकती? क्या नए-नए रूट इजाद करने वाले रेलवे को रींगस से जयपुर वाया फुलेरा का रूट नहीं दिखता? (जब तक रीगंगस-चौमूं-जयपुर मार्ग चालू नहीं हो जाता तब तक वैकल्पिक व्यवस्था कर यात्रियों को सुविधा दी जा सकती है।) क्या श्रीगंगानगर-सादुलपुर इंटरसिटी का फेरा सीकर तक नहीं किया जा सकता? श्रीगंगानगर से सीकर तक तो रेल का प्रस्ताव तैयार हुए भी सालभर के करीब हो गया लेकिन रैक न मिलने का बहाना बनाकर क्षेत्र की लगातार उपेक्षा की जा रही है। 
गाहे-बगाहे रेल सेवा शुरू करवाने का श्रेय लेने वाले जनप्रतिनिधियों को इस ट्रैक की याद क्यों नहीं आती? करीब दस साल से श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले के यात्रियों के लिए जयपुर दूर है लेकिन फिर भी बहाने बनाकर देरी की जा रही है। रेलवे और यहां के जनप्रतिनिधियों को चाहिए इस मामले को प्राथमिकता में शामिल करें, क्योंकि ज्यादा उपेक्षा भी अच्छी नहीं होती।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 26 जनवरी 19 के अंक में प्रकाशित

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