Sunday, May 13, 2018

इक बंजारा गाए-30


विदाई पार्टी
तबादला होने पर विदाई देने की परम्परा पुरानी है। वैसे तो विदाई सहकर्मी ही देते आए हैं लेकिन समय के साथ अब वाहर वाले भी विदाई देने लगे हैं। विशेषकर खाकी वाले महकमे के प्रति बाहरी लोग ज्यादा सहानुभूति दिखाते हैं। इस सहानुभूति की वजह भी लोग अच्छी तरह से जानते हैं। अब यातायात वाले साहब की विदाई की चर्चे इन दिनों दबे स्वर में सुनाई दे रहे हैं। विदाई भी कोई सामान्य नहीं थी। शहर के एक सबसे बड़े मॉल में इस विदाई पार्टी का आयोजन किया गया। विदाई देने वाले भी वही लोग थे, जिनके पीछे पिछले दिनों खाकी हाथ धोकर पड़ी थी। बकायदा अभियान भी चलाया। अभियान की मार झेलने के बाद भी विदाई देने का राज हर किसी के समझ नहीं आ रहा। विशेषकर अब नए साहब क्या करेंगे। वो पुराने साहब के संबंधों को कायम रखेंगे या संबंधों से ऊपर जाकर कोई नजीर पेश करेंगे, यह तो खैर आने वाला वक्त ही बताएगा।
गजब की एकता
श्रीगंगानगर शहर के हालात से कोई अनजान नहीं हैं। कहीं सीवरेज लाइन की खुदाई के कारण लोग परेशान हैं तो कहीं अधूरे निर्माण ने दुविधा में डाल रखा है। कहीं सफाई व्यवस्था चौपट है तो कहीं यातायात व्यवस्था चरमराई हुई है। गंगनहर में दूषित पानी आने का मामला भी लगातार चर्चा में है लेकिन शहर के नेताओं और छुटभैयों को यह सब दिखाई नहीं देता। उनकी नजर थोक के वोट बैंक पर लगी रहती है। विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही इन नेताओं व छुटभैयों में सही-गलत में अंतर करना भी छोड़ दिया लगता है। हालात यह है कि कोई नाजायज मांग करता है तो शहर के नेता व छुटभैये उसके समर्थन में तत्काल खड़े हो जाते हैं। न्यायसंगत बात के लिए एकजुट होने की बात तो समझ आती है लेकिन गैरवाजिब बातों के लिए ताल इसलिए भी ठोकी जा रही है कि ताकि इस बहाने थोक में वोट बैंक बढ़ जाए। हालांकि इन नेताओं में टिकट किसको मिलेगी और किसकी कटेगी यह तय नहीं है। फिलहाल इनका काम हां में हां मिलाना ही है।
नाका प्रेम
देखा गया है कि खाकी को कोई जगह पसंद आ जाती है तो उस पर भले ही लाख सवाल उठे, पर वह उस जगह को नहीं छोड़ती, उस पर कायम रहती है। अब साधुवाली छावनी के रास्ते पर सैनिक अस्पताल के पास जांच अभियान तथा उससे थोड़ा आगे साधुवाली गांव में नाका लगाने के मामले चर्चा में आने के बावजूद यथावत हैं। सैनिक अस्पताल के पास वैसे भी यातायात व्यवस्था इतनी चरमराई हुई नहीं है फिर भी खाकी का इस जगह से खास लगाव संशय तो पैदा करता है। आखिर शहर से दूर इस मार्ग पर खाकी को इस तरह एकांत तलाशने की जरूरत ही क्या थी। वैसे दो चार रोज पूर्व साधुवाली नाके का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। लेकिन खाकी के अधिकारियों ने मामले में दम न बताकर इसको खारिज कर दिया। खैर, यह तो सब जानते ही हैं कि बिना आग के कभी धुआं नहीं उठता। वैसे भी जब मामला गरम है तो अधिकारियों को इस बात की पड़ताल तो करवा ही लेनी चाहिए कि इस जगह से इतने लगाव की वजह आखिर है क्या?
जिन्न का जलवा
श्रीगंगानगर में मेडिकल कॉलेज का जिन्न विशेषकर चुनावी सीजन के आसपास ज्यादा प्रकट होता है। इस जिन्न का जलवा ऐसा है इसके आभा मंडल के इर्द गिर्द सब घूमने लगते हैं। चाहे कोई समर्थन में हो या फिर खिलाफ। अब विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही मेडिकल कॉलेज का मामला फिर चर्चा में हैं। वैसे मेडिकल कॉलेज के साथ-साथ चर्चा इस बात की भी हो रही है कि श्रीगंगानगर में रात को तो मेडिकल स्टोर नहीं खुलता। वैसे भी मेडिकल कॉलेज कब खुलेगा कब नहीं, इसका कोई अता पता नहीं है। हां, मेडिकल कॉलेज खुलवाने की मांग करवाने वाले पहले अगर एक मेडिकल स्टोर खुलवाने की व्यवस्था भी करवा दें तो यह भी जनता पर एक तरह का उपकार ही होगा। पता नहीं क्यों आंदोलन करने वालों को यह बात समझ नहीं आती। हो सकता है समझ आती भी हो लेकिन गरम लोहे पर चोट करने का अवसर भला कौन चूकना चाहेगा, इसलिए सब मेडिकल कॉलेज का राग ही अलाप रहे हैं।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 10 मई 18 के अंक में प्रकाशित

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