Saturday, June 2, 2018

राजस्थान में बसता है फिल्मी दुनिया का पाकिस्तान!


श्रीगंगानगर. पाकिस्तान का नाम आते ही जेहन में एक ऐसे पड़ोसी की छवि उभरती है, जो प्यार की भाषा नहीं समझता। रिश्ते मधुर नहीं रखना चाहता तथा आतंक के दम पर दहशत का माहौल पैदा करना चाहता है। इतना कुछ होने के बावजूद पाकिस्तान से प्रेम करने वाले कम नहीं है। तभी तो राजस्थान में भी एक पाकिस्तान बसता है, लेकिन यह पाकिस्तान हकीकत का नहीं है। यह पाकिस्तान फिल्मी दुनिया का है। पश्चिमी राजस्थान के गांव, यहां की पृष्ठभूमि तथा लोकेशंस आदि मुंबइया सिने निर्देशकों को खासे लुभा रहे हैं। विशेषकर राजस्थान के सीमावर्ती ग्रामीण इलाके रुपहले पर्दे पर पाकिस्तान के रूप में नजर आ रहे हैं। फिलहाल श्रीगंगानगर जिले में 'बैटल ऑफ सारागढ़ी' नामक फिल्म की शूटिंग चल रही है, जो कि आजादी से पहले ब्रिटिश भारतीय सेना और अफगानी सेना के बीच लड़े गए युद्ध पर आधारित है। इसमें मुख्य किरदार अभिनेता रणदीप हुड्डा निभा रहे हैं। विदित रहे कि तीन साल पहले आई सलमान खान की फिल्म 'बजरंगी भाईजान' में जो पाकिस्तान दिखाया गया, वह झुंझुनूं जिले के मंडावा में फिल्माया गया था।
इसी तरह सन 2003 में साहित्यकार अमृता प्रीतम के उपन्यास पर बनी फिल्म 'पिंजर' के भी काफी सीन श्रीगंगानगर व झुंझुनूं के नवलगढ़ में फिल्माए गए थे। 'पिंजर' भारत-पाक विभाजन पर बनी थी, जबकि 'बजरंगी भाईजान' में भारत आए एक पाकिस्तानी परिवार से भारत में बिछुड़ी एक बालिका को वापिस पाकिस्तान छोडऩे की कहानी है। इसी तरह 2001 में आई सन्नी देओल की फिल्म 'गदर : एक प्रेम कथा' में भी पाकिस्तान से संबंधित अधिकतर दृश्य बीकानेर जिले में फिल्माए गए थे।
यह है 'बैटल ऑफ सारागढ़ी' की कहानी
सारागढ़ी युद्ध 12 सितम्बर 1897 को ब्रिटिश भारतीय सेना और अफ गानी सेना के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध खैबर-पखतुन्खवा में हुआ था, जोकि अब पाकिस्तान में है। ब्रिटिश भारतीय सेना में सिख पलटन की चौथी बटालियन में 21 सिख थे, जिन पर 10 हजार अफगानी सैनिकों ने हमला किया था। इस बटालियन का नेतृत्व करने वाले हवलदार ईशर सिंह ने ऐसे मौके पर मरते दम तक लडऩे का फैसला लिया। इसे सैन्य इतिहास में सबसे महान अन्त वाले युद्धों में से एक माना जाता है। ब्रिटिश भारतीय सैनिक और अफगानी सैनिकों के बीच युद्ध के दो दिन बाद अन्य भारतीय सेना ने उस स्थान पर फिर से कब्जा जमा लिया था। सिख सैन्य कर्मी इस युद्ध की याद में 12 सितम्बर को 'सारागढ़ी दिवस' के रूप में मनाते हैं। यह फिल्म इसी ऐतिहासिक घटनाक्रम पर बनी है।
 राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 30 मई 18 के अंक प्रकाशित
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