Tuesday, December 17, 2019

चुनौतीपूर्ण हालात से निपटना होगा



टिप्पणी
श्री गंगानगर नगर परिषद चुनाव में पार्षदों की संख्या के मामले में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही लेकिन सभापति के चुनाव में उसने न केवल बाजी पलटी बल्कि अपने पक्ष में भी कर ली। दूसरे शब्दों में कहें तो जनादेश में पिछड़ी कांग्रेस ने बहुमत के जादुई आंकड़े को प्राप्त कर जीत हासिल कर ली। हां दोनों ही दलों के दावों का दम जरूर निकला। वैसे युद्ध और राजनीति में जीत के ही मायने होते हैं। जीत किन कारणों से हुई, यह सब गौण हो जाता है। जाहिर सी बात है कांग्रेस के लिए निर्दलीय संकट मोचक साबित हुए। भाजपा कम निर्दलीयों को अपने पक्ष में मतदान के लिए तैयार कर पाई। तभी तो भाजपा 24 से 31 तक पहुंची तो कांग्रेस 19 से 34 तक चली गई। आखिरकार कांग्रेस ने मुकाबला ३४-३१ से जीतकर सभापति के पद पर कब्जा लिया। वैसे भी सभापति के चुनाव में संख्या बल ही मायने रखता है। वो कैसे आए, किधर से आए यह अलग विषय है। पिछला सभापति का चुनाव याद कीजिए, जब एक निर्दलीय ने मुकाबला 48-2 के अंतर से जीता था। सबसे बड़े दल के रूप में होने के बावजूद भाजपा पिछला चुनाव भी हारी थी और इस बार भी सर्वाधिक पार्षद होने के बावजूद वह बहुमत के लिए पर्याप्त संख्या बल नहीं जुटा पाई। हां भाजपा के लिए संतोष की बात यह हो सकती है कि उसने इस बार पिछले प्रदर्शन के बजाय जोरदार मुकाबला किया। वह अपने पार्षदों को भी अपने खेमे में रोक पाने में सफल रही। खैर, सभापति के चुनाव के बाद जीत व हार दोनों पर मंथन होगा, समीक्षाएं होगी। हां इतना तय है कि इस चुनाव का असर दूरगामी पड़ेगा। यह चुनाव कालांतर में शहर के कई नेताओं के राजनीतिक कॅरियर पर पूर्ण विराम लगा सकता है तो नए राजनीतिक समीकरण भी पैदा करेगा।
वैसे देखा जाए तो शहर की राजनीति में ज्यादा कुछ नहीं बदला है। देवर की राजनीतिक विरासत को अब उनकी भाभी संभालेंगी। निवर्तमान सभापति का कार्यकाल कैसा रहा, यह किसी से छिपा नहीं है। इसके लिए वो बार-बार राज्य की भाजपा सरकार को कोसते रहे और कहते रहे कि राज्य सरकार उनका सहयोग नहीं कर रही। खैर, अब एेसा भी नहंी है। विकास के नाम पर अब किसी को कोसा भी नहीं जा सकेगा। राज्य में कांग्रेस की सरकार है और सभापति भी कांग्रेस की है। एेसे में उम्मीद करनी चाहिए कि बदहाल शहर की सुध ली जाएगी। दलगत भावना से ऊपर उठकर शहर का समग्र विकास किया जाएगा। नई सभापति के समक्ष हालात वाकई चुनौतीपूर्ण हैं। एेसे में देखना होगा कि वो इस चुनौती से कैसे पार पाती हैं।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 27 नवम्बर 19 के अंक में प्रकाशित 

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