Tuesday, December 17, 2019

जनहित में व्यवस्था है जरूरी



टिप्पणी
न वरात्र शुरू होने के साथ ही बाजारों में चहल-पहल शुरू हो गई है। दीपोत्सव के उपलक्ष्य में खरीदारी का दौर भी शुरू होकर रफ्ता-रफ्ता रफ्तार पकड़ रहा है। लब्बोलुआब यह है कि हर वर्ग त्योहारों की तैयारी में जुटा हुआ दिखाई दे रहा है। जाहिर सी बात है, एेसे माहौल में सडक़ों पर यातायात भी बढ़ गया है। दीपोत्सव पर इस तरह के हालात कमोबेश हर शहर या कस्बे में दिखाई दे जाते हैं। व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे, लोगों को आवागमन में किसी तरह की दिक्कत नहीं हो, इसके लिए प्रशासन और पुलिस विशेष प्रबंध करते हैं। कहीं यातायात को डायवर्ट किया जाता है तो कहीं उसको वन वे किया जाता है। इन सबके अलावा दुकानदारों को विशेष हिदायत दी जाती है कि वे दुकान का दायरा इतना न बढ़ाएं कि सडक़ संकरी हो जाए। कई शहरों में तो इसके लिए बकायदा एक सफेद लाइन बना दी जाती है कि ताकि सभी उससे बाहर न आएं। जो यह दायरा तोडऩे का प्रयास करता है, उस पर कार्रवाई भी होती है।
श्रीगंगानगर में भी दीपोत्सव के उपलक्ष्य में बाजार सजने शुरू हो गए हैं। दुकानदारों ने अपनी दुकान का दायरा सडक़ों तक बढ़ा लिया है, लिहाजा सडक़ें संकरी होने लगी हैं। कई जगह तो सडक़ पर ही टैंट लगा दिए गए हैं। शहर में किसी भी दिशा से प्रवेश करो, यह अस्थायी अतिक्रमण आपको दिखाई दे जाएंगे। लेकिन यहां अभी व्यवस्था के नाम पर सब कुछ रामभरोसे ही चल रहा है। यातायात व्यवस्था तो बुरी तरह चरमराई हुई है। नगर परिषद हो चाहे यूआइटी तो इस तरह के अतिक्रमण नहीं होने चाहिए। वैसे परिषद व यूआइटी अतिक्रमण हटाने में गंभीरता नहीं बरत रहे। इधर यातायात पुलिस भी कमोबेश इनके नक्शेकदम पर है। उसे व्यवस्था बनाने के नाम पर चालान काटने से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं देता। एेसे में फिर यह व्यवस्था ठीक करेगा कौन? अतिक्रमण करके सडक़ों पर कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कौन करेगा? पुलिस व प्रशासन का काम व्यवस्था बनाना होता है ताकि आमजन को आवागमन में तकलीफ न हो। उनको अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और सडक़ों पर टैंट लगाकर कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। सुधार एक दूसरे का मुंह ताकने से या हाथ पर हाथ धरने से नहीं होगा। इसके लिए पहल करनी होगी। बाकी जगह हो सकता है तो श्रीगंगानगर में क्यों नहीं?
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में चार अक्टूबर 19 के अंक में प्रकाशित।

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