Tuesday, May 22, 2018

लंपट या लंपटगिरी का अर्थ

बस यूं ही
झुंझुनूं से संचालित होने वाले बगड़ के एक प्रतिष्ठित स्कूल के संस्था प्रधान ने कल मेरी एक पोस्ट पर कमेंट किया था। उनके कमेंट में एक जगह लंपटगिरी शब्द का प्रयोग आया था, जो उन्होंने मेरे लिए प्रयुक्त किया। हालांकि उनके कमेंट पर आपत्ति जताते हुए मैंने जवाब दे दिया। साथ में उन गुरुजी से लंपट या लंपटगिरी का अर्थ भी पूछ लिया। हालांकि अर्थ मुझे तब भी मालूम था और अब भी है। मैं इंतजार कर रहा था कि शायद गुरुजी जवाब देंगे या अपना कमेंट हटा लेंगे, लेकिन दोनों ही बातें नहीं हुई। न तो कमेंट हटा, न संशोधित हुआ और न ही लंपट या लंपटगिरी का अर्थ बताया गया। इसके पीछे भी दो कारण हो सकते हैं या तो गुरुजी बताना नहीं चाह रहे हों। न बताने की भी कई वजह हो सकती हैं। और दूसरा यह है कि गुरुजी को इसका अर्थ ही न मालूम हो। खैर, मैं कैसा हूं.. मेरा चरित्र कैसा है.. मेरा स्वभाव कैसा है... मेरी आदतें कैसी हैं.. मेरा व्यवहार कैसा है। मुझे यह बताने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि जो मुझे जानते हैं उनको पता है और जो नहीं जानते उनको बताने का कोई फायदा नहीं है। बगड़ वाले गुरुजी से भी परिचय चंद मुलाकातों का हैं, लिहाजा उनको बताने का कोई फायदा नहीं है।
हां लंपट/ लंपटगिरी का अर्थ आप सब से जरूर साझा कर रहा हूं ताकि आप जान सकें कि एक प्रतिष्ठित संस्थान से जुड़े शख्स के विचार कैसे हैं। इस शब्द के अर्थ क्या-क्या हैं आप भी जानें। लंपट का मतलब होता है कामुक, निरर्थक समय बर्बाद करने वाला, नैतिक सत्य से भटकने वाला, ठरकी, बांका, अनियंत्रित, चंचल, विलासी रूप से लिप्त, शोहदा, छिछोरा, अनुशासनहीन, अनियंत्रित आदि आदि।
इसी तरह आजकल गिरी शब्द भी प्रचलन खूब है। जैसे दादा से दादागिरी, गांधी से गांधीगिरी टाइप। इस तरह से लंपट को भी लंपटगिरी बना दिया गया है। इस शब्द का अर्थ तलाशन केे मैंने बहुत प्रयास किए तब जाकर एक जगह नया जमाना नामक ब्लॉग मिला। इस ब्लॉग के लेखक कोलकात्ता विवि में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर हैं। उन्होंने फेसबुक पर लंपटगिरी की व्याख्या की है। थोड़े से संशोधन के साथ साझा कर रहा हूं।
कुंठा और छद्म में जीनेवाला व्यक्ति बेहद कमजोर और आत्मपीड़क होता है। इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो फेसबुक लंपट आत्मपीड़ा से भी गुजरते हैं। ऐसे आत्मपीडकों के लिए इंटरनेट विष की तरह है। फेसबुक लंपट की विशेषता है कि वह छद्म में जीता है, छद्मभाषा लिखता है, पहचान छिपाता है। फेसबुक पर लंपटगिरी करने वाले लोग वस्तुत: बीमार मन के कुण्ठित लोग हैं। स्त्री के साथ अपमान या हेय या उसे कम करके देखने वाली भाषा वस्तुत:कुण्ठा की उपज है। इन लोगों को किसी मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए। फेसबुक लंपटों में एक लक्षण यह भी देखा गया है कि जो लड़की मित्रता के प्रस्ताव का जबाव नहीं देती तो उसके मैसेज बॉक्स को अश्लील तस्वीरों, गालियों और सेक्सुअल भाषा से भर देते हैं।
फेसबुक लंपट बेहद डरपोक होता है। वह गलती करता है और फिर दुम दबाकर भागता है।
बहरहाल, मैंने हमेशा अपने गुरुजनों का सम्मान किया है। आज भी मेरे मन में जीवन में मिले तमाम गुरुजनों के प्रति अगाध श्रद्धा व सम्मान है। इसके बावजूद एक शिक्षक के मेरे प्रति एेसे विचार हो सकते हैं, मैं यह सोच सोच कर हैरान हूं। एक शिक्षक को भविष्य का निर्माता कहा जाता है। मेरे प्रति सार्वजनिक रूप से इस तरह की सोच प्रदर्शित करने वाले तथा लंपटगिरी से नवाजने वाले शिक्षक भावी पीढ़ी को किस तरह की शिक्षा दे रहे हैं यह चिंतन व मनन करने का विषय है। सोचिएगा जरूर ।
नोट - मेरा उद्देश्य शिक्षक व संस्था को बदनाम करना नहीं बल्कि उस शिक्षक को एहसास करवाना है ताकि वह भविष्य में किसी के प्रति इस तरह के अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करने से पहले दो बार सोचे जरूर।

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