Tuesday, May 22, 2018

कलक्टर साहब! यह सड़क ठीक करवाओ

श्रीमान, जिला कलक्टर
श्रीगंगानगर।
इन दिनों आप शिव चौक होते हुए जिला अस्पताल गए हैं तो यकीनन आपको हालात की जानकारी होगी। अगर नहीं गए हैं तो आप एक बार इस सड़क से जरूर गुजरें। पखवाड़े भर से ज्यादा समय से इस सड़क पर इंटरलॉकिंग का काम बंद पड़ा है। एक तरफ तो सड़क के किनारे कहीं पर खोद कर तो कहीं पर कंकरीट डाल कर छोड़ दिया गया है, जबकि दूसरी तरफ इंटरलॉकिंग का काम भी आधा अधूरा ही हुआ है। यूआईटी ने पता नहीं क्या सोच कर इस बीच के टुकड़े की इंटरलॉकिंग करवाने का तय किया? जबकि इस जगह पर जबरदस्त अतिक्रमण हैं। वैसे तो अतिक्रमण की मार से समूचा श्रीगंगानगर शहर ही प्रभावित है, लेकिन इस मार्ग पर तो रेत व बजरी का कारोबार खुलेआम सड़क पर होता है। रेत व बजरी से भरे ट्रकों के कारण इस मार्ग पर रोज जाम लगता है। वैसे भी यह अति व्यस्त मार्ग है जो श्रीगंगानगर को सूरतगढ़ और बीकानेर से जोड़ता है। हिसाब से तो यूआईटी को इस मार्ग से अतिक्रमण हटाने तथा तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही यह काम शुरू करवाना था, लेकिन पता नहीं न्यास का क्या मकसद रहा कि आनन-फानन में यह काम शुरू करवा दिया गया। इस जल्दबाजी का अंजाम यह हुआ कि वन विभाग की आपत्ति के बाद यह काम रुक गया। अब यूआईटी के अधिकारी बीकानेर व जयपुर के बीच एनओसी लेने के लिए चक्कर लगा रहे हैं। नियमानुसार इंटरलॉकिंग करवाने का काम यूआईटी का है ही नहीं। फिर भी उसने करवाना तय किया तो पूरी तैयारी करनी चाहिए थी। खैर, यूआईटी की इस नासमझी का खमियाजा आमजन व वाहन चालकों को भुगतना पड़ रहा है।
इतना ही नहीं इंटरलॉकिंग और सड़क के बीच जो डिवाइडर बनाया जा रहा है, जानकारों के अनुसार वह किसी का काम नहीं है। इससे सड़क और संकरी हो गई है तथा इंटरलॉकिंग की जगह अतिक्रमण फिर पसरने लगा है। यह डिवाइडर अतिक्रमण करने वालों के लिए एक तरह से सुरक्षा दीवार बन गया है। इसने सड़क व अतिक्रमण प्रभावित क्षेत्र को दो भागों में बांटने का काम किया है। इस डिवाइडर के कारण सड़क सिकुड़ गई है, जिससे राहत की बजाय यह काम और ज्यादा बिगड़ गया है। यदि डिवाइडर नहीं बनाया जाता तो सड़क और इंटरलोकिंग टाइल्स का मिलान हो जाता, जिससे सड़क की चौड़ाई बढ़ जाती और वाहन चालकों को सुविधा होती। अभी पिछले दिनों आई मामूली बरसात से डिवाइडर की वजह से सड़क पर पानी भी भरा। वैसे देखा जाए तो इस मार्ग पर इंटरलॉकिंग के काम व डिवाइडर की जरूरत ही नहंी थी। इस मार्ग पर अतिक्रमण हटाना सबसे जरूरी काम था, लेकिन यूआईटी ने इस मामले में आंखें क्यों मूंद रखी हैं, यह सवाल भी खड़ा हो रहा है। यह बिना जरूरत का काम करवाकर यूआईटी ने आमजन को तकलीफ में डाला है। एक तरह से यह राजकीय राशि का दुरुपयोग भी है।
आप इस मार्ग का न केवल निरीक्षण करें, बल्कि विशेषज्ञों से रिपोर्ट भी बनवाएं ताकि पता चले कि यह अनुपयोगी डिवाइडर भविष्य में कितना परेशानी भरा होगा? यह हादसों का वाहक बनेगा। बरसाती पानी की निकासी कैसे व कहां से होगी? लगता नहीं कि यूआईटी ने इन परेशानियों के बारे में सोचा भी होगा। जो विभाग निर्माण कार्य संबंधी औपचारिकता पूरी नहीं कर रहा है, लगता नहीं है कि उसने आगे की बात सोची होगी। आपसे आग्रह है कि इस सड़क को अतिक्रमण मुक्त कर बंद पड़े काम को शुरू करवाएं। रोजाना इस मार्ग से गुजरने वाले तथा व्यवस्था को कोसने वाले लोग यकीनन आपको दुआ देंगे। आप संजीदा शख्स हैं तथा समस्या का समाधान करवाने शिद्दत से करवाने की सोच रखते हैं। उम्मीद है इस मामले में भी आपका संजीदापन दिखाई देगा।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 14 मई 18 के अंक में प्रकाशित 

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