Tuesday, May 8, 2018

कमर दर्द

लघु कथा
सुंदर नयननक्श की मां - बेटी बस में एक ही सीट पर बैठी थी। तभी बेटी उठी और आराम का कहकर सिंगल स्लीपर में सोने चली गई। अब मां के बगल वाली सीट खाली थी। खाली सीट देख काफी समय से खड़े एक बुजुर्ग के चेहरे पर चमक आ गई। वो फौरन सीट की तरफ लपके लेकिन निराशा ही हाथ लगी। वह महिला बोली, जी यह हमारी सीट है। हमने इसको बुक करवा रखा है। स्लीपर भी हमने ही बुक करवाया है। मेरी कमर में दर्द रहता है, इसीलिए बीच-बीच में जाकर आराम करती हूं। हालांकि यह सब कहा तब तक महिला स्लीपर में एक बार भी नहीं गई थी। अगले स्टॉप पर एक परिवार और चढ़ा। सीट पर बैठी महिला खिसकी और एक बालिका को अपनी बगल में बैठा लिया। बस अपनी रफ्तार से दौड़े जा रही थी। रात का एक बजने को था। लगभग सभी यात्री नींद में आगोश में समा चुके थे। अचानक परिचालक आया और बालिका को एक तरफ कर महिला के बगल में बैठ गया और फिर महिला व.परिचालक के बीच खुसर-पुसर होती रही। तीन घंटे बाद महिला सीट से उठी और बेटी स्लीपर से नीचे उतरीं। दोनों का मुकाम जो आ गया था। बस से नीचे उतरने के बाद महिला के चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान थी और हाथ अभिवादन में हिल रहा था। बस चल पड़ी पर सवाल खड़ा रह गया, वो कमर दर्द? वो आराम?

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