Monday, September 16, 2013

सूर्यनगरी जोधपुर-1


बस यूं ही

 
फेसबुक पर इन दिनों फिल्म अभिनेता सलमान खान और आसाराम बापू की फोटो खूब शेयर की जा रही है। इसी फोटो के नीचे लिखा है, 'पचास बार मना किया था, जोधपुर मत जाना।' इस फोटो को खूब लाइक मिल रहे हैं और टिप्पणियां भी की जा रही हैं। भले ही यह बात सलमान ने ना कही हो लेकिन जाहिर सी बात है, सलमान का भी जोधपुर को लेकर अनुभव अच्छा नहीं रहा है। आज से करीब पन्द्रह साल पहले 1998 में राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म 'हम साथ-साथ हैं' की शूटिंग के दौरान सलमान, हिरण शिकार के मामले में ऐसे फंसे थे कि अभी तक पीछा नहीं छूट पाया है। संभवत: सलमान का आसाराम के साथ फेसबुक पर यह लिंक तभी जोड़ा जा रहा है। खैर, करीब पखवाड़े भर से जोधपुर फिर चर्चा में है। गूगल पर भी जोधपुर के नाम से सर्च करने पर आसाराम प्रकरण ही ज्यादा दिखाई दे रहा है। जोधपुर चर्चित शहर है, इसमें दो कोई दो राय है ही नहीं। न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी। सूर्यनगरी के नाम से विख्यात इस शहर की पहचान केवल विशेष प्रकार के पत्थरों से ही नहीं बल्कि यहां की अपणायत से है, जिसका कायल हर वो शख्स है जो जोधपुर से परिचित है या यहां आ चुका है। यहां की संस्कृति को समझ चुका है। यहां के लोगों स्वभाव में न तो शहर के नाम (सूर्यनगरी) से हिसाब से गर्मी है और ना ही यहां लोग पत्थरों का शहर होने के बावजूद पत्थर जैसे कठोर हैं। हां, मान-सम्मान एवं स्वाभिमान तो यहां रहने वालों की नस-नस में है। गौर करने की बात यह है कि जोधपुर की यह विशेषताएं या खूबियां मैंने नहीं गढ़ी हैं, बल्कि इस शहर के साथ सदियों से जुड़ी हुई हैं। बचपन में एक जुमला सुना था कि जोधपुर के लोग जब गुस्से में कुछ कहते हैं तो भी उनका गुस्सा, आम गुस्से जैसे नजर नहीं आता। कहने का मतलब यह है कि जोधपुर की बोली इतनी मीठी है कि वो किसी पराये को भी अपना बनाने पर मजबूर कर देती है। खैर, मैं तो इस शहर से वाबस्ता बचपन से ही हूं..। हल्की सी याद है कि बचपन में एक बारात में जोधपुर आया था। चौपासनी स्कूल में बारात ठहराई गई थी। करीब 28-29 साल पहले की बात है...। क्रमश:

No comments:

Post a Comment