Monday, September 16, 2013

सच कहां है...


बस यूं ही

सच कहने का साहस... सच सुनने का साहस...
सच लिखने का साहस...सच स्वीकारने का साहस...
सच के साथ रहने का साहस...सच के साथ काम करने का साहस..
सच के साथ जीने का साहस...सच के साथ मरने का साहस...
यह सब अब कहां है,

क्योंकि आजकल,
सच आपस में लड़ाता है..बेवजह गुस्सा दिलाता है...
सच से रिश्ते टूटते है...सच से दोस्त रुठते हैं...
सच से बात बिगड़ती है...सच से दुनिया अकड़ती है...
सच बोरिंग कहानी है...पागलपन की निशानी है...
यह हालत इसलिए है,

क्योंकि आजकल,
सांच को आंच है... झूठ की नहीं जांच है..
झूठ का बोलबाला है... सच का मुंह काला है..
झूठ से बात बनती है... झूठ से राह निकलती है..
झूठ बोलना शान है.. झूठ ही पहचान है...
तभी तो यह हो रहा है,

क्योंकि आजकल
सच बेचारा बीमार है... आदत से लाचार है...
सच प्रताडि़त है... सच पराजित है...
झूठ को अपना लिया.. सच को बिसरा दिया...
सच बुरी तरह घायल है... झूठ के सब कायल हैं..
यह हालत तब तक रहेगी..

जब तक हम,
अहसानों से दबते रहेंगे... जुल्म के प्रति चुप रहेंगे..
मुफ्त उपहार पाते रहेंगे... बदले में गुण गाते रहेंगे..
झूठ को अपनाते रहेंगे. सच को ठेंगा दिखाते रहेंगे..
आत्ममंथन करेंगे नहीं... भगवान से कभी डरेंगे नहीं..

इसलिए अब,
मजबूर हम होंगे नहीं... तो सच से दूर होंगे नहीं..
सोए जमीर को जगाना होगा.. झूठ को दूर भगाना होगा..
माध्यम हम बनें नहीं... बुरा किसी से सुनें नहीं...
सब कुछ सच के साथ करेंगे... प्रलोभन से नहीं डिगेंगे..

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