Friday, April 21, 2017

सवाल मांगते जवाब

 टिप्पणी 

मासूम सचिन हत्याकांड के आरोपित की गिरफ्तारी को लेकर अब तक जो सवाल जिम्मेदार लोगों में मन में खदबदा रहे थे वह अब होठों पर आने लगे हैं। पुलिस कार्रवाई पर दबे स्वर में सवाल उठाने वाले अब रफ्ता-रफ्ता मुखर हो रहे हैं और पुलिस को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। वैसे सवाल तो इस प्रकरण में पहले दिन से उठने शुरू हो गए थे, जब एक मनोरोगी को बालक की हत्या के आरोप में पकड़ा गया था। इस गिरफ्तारी से पहले सोशल मीडिया में एक ऑडियो भी वायरल हुआ था। इस ऑडियो को लेकर कहा गया था कि यह आरोपित का ही है और वह वॉइस चेंजर से नंबर बदल-बदलकर फोन करता था। खैर, जिस तरह से इस प्रकरण में नाटकीय ढंग से गिरफ्तारी हुई और आरोपित को बीकानेर से पकड़कर लाया गया तो शक की सुई घूमी व संदेह के बादल और गहरा गए। जेहन में एक ही सवाल था कि कहीं तात्कालिक आक्रोश के लिए तो यह सब नहीं किया गया? खैर, मंगलवार को शहर के प्रबुद्ध लोगों की बैठक में भी पुलिस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए गए हैं। कम से दस अहम सवाल बैठक के दौरान आए तथा इनसे संबंधित शंकाओं के समाधान के लिए पुलिस अधीक्षक से मिलने का निर्णय किया गया।
सवाल तो पुलिस ने जो कहानी बताई है उससे भी खड़े हो जाते हैं। अगर वाकई आरोपित ही मासूम का हत्यारा है तो पुलिस को बताना चाहिए कि आरोपित इतनी सिम कहां से लाया? उनको वह कहां से रिचार्ज करवाता था? आरोपित मनोरोगी है यह साबित कैसे हुआ? क्या इस संबंध में मनोरोगी का कोई मेडिकल हुआ है? आरोपित की सचिन के परिवार से क्या जान-पहचान थी और वह जहां रहता था वहां से इतनी दूर कैसे व क्यों गया? अगर वह सचिन के घर की रैकी करता था उसका चश्मदीद कौन है? आरोपित श्रीगंगानगर में क्या काम करता था? वह बीकानेर छोड़कर यहां क्यों आया? कहानी में जिस पदमपुर की महिला का जिक्र आया है वह कौन है और क्या करती है? इस तरह के कई सवाल हैं जो लोगों को तसल्ली नहीं देकर उनकी जिज्ञासा और ज्यादा जगाते हैं। भला यह कैसे संभव हो सकता है कि आरोपित खुद ही फोन करके सब कुछ उगल दे? क्या इस तरह की बातें करने का कोई उसका कोई रिकार्ड रहा है? वह वाकई मनारोगी है तो इस बात के प्रमाण क्या हैं?
बहरहाल, पुलिस ने रहस्यमयी बनते जा रहे हैं इस प्रकरण का जिस तरह से आनन-फानन में खुलासा किया और जो कहानी बताई यह सवाल उसी कहानी से निकले हैं। पुलिस को इन सवालों का तसलीबख्श जवाब भी बताना चाहिए ताकि जो कहानी बताई जा रही है वह आसानी से लोगों के गले उतरे। लोगों का फिर से लामबद्ध होना यही दर्शाता है कि वे सही जवाब सुनना चाहते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए पुलिस सवालों का जवाब जरूर देगी।


राजस्थान पत्रिका श्रीगंगानगर संस्करण के 8 फरवरी 17 के अंक में प्रकाशित 

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