Saturday, December 16, 2017

मनमर्जी का निर्णय

टिप्पणी
श्रीगंगानगर से अंबाला के बीच चलने वाली अंबाला इंटरसिटी ट्रेन को शुक्रवार को बंद कर दिया गया। इस ट्रेन का आगामी ढाई माह तक संचालन नहीं होगा। इसी तरह श्रीगंगानगर से हावड़ा के बीच चलने वाली उद्यान आभा तूफान एक्सप्रेस को तीन दिसम्बर से बंद कर दिया जाएगा। यह ट्रेन 18 फरवरी तक रद्द रहेगी। इस अवधि में उद्यान आभा का संचालन आगरा से हावड़ा के बीच होता रहेगा। श्रीगंगानगर से आगरा के बीच इस ट्रेन का संचालन नहीं होगा। बीकानेर मंडल की इन दोनों ट्रेन को रेलवे बोर्ड की ओर से रद्द किया गया है। इसके पीछे कारण कोहरा व ठंड को बताया गया है। कोहरे व ठंड के कारण इन रेलों को हर साल इसी तरह से रद्द किया जा रहा है। ऐसा करते हुए दस साल से अधिक समय हो गया है। बीच में एक बार जनाक्रोश को देखते हुए रेलवे ने संचालन शुरू कर दिया था, बाकी हर साल रेलों का संचालन इसी समय रद्द किया जाता है। फिलहाल श्रीगंगानगर और आसपास के क्षेत्र में न कोहरा है न ही ठंड, फिर भी ट्रेन का संचालन बंद कर दिया गया है। अजीब बात यह है कि इसी मार्ग पर बीकानेर-से दिल्ली वाया श्रीगंगानगर चलने वाली बीकानेर-सरायरोहिल्ला एक्सप्रेस का संचालन यथावत है।
इस तरह कहा जा सकता है कि तूफान एक्सप्रेस को बंद करना रेलवे का मनमर्जी का फैसला है। सर्दी और कोहरा हो तब हादसे की आशंका रहती है। ट्रेन समय पर भी नहीं पहुंचती है। तब इस तरह का फैसला लिया भी जाना चाहिए लेकिन वर्तमान में मौसम एकदम साफ है। ट्रेन का संचालन शुरू हो इसके लिए स्थानीय सांसद ने रेलवे बोर्ड के चैयरमैन से मुलाकात की बताई लेकिन वहां बात नहीं बनी। इस बात को सांसद ने खुद स्वीकार किया है। सांसद का कहना है कि अब वे इस बाबत रेल मंत्री से मिलेंगे। खैर, सांसद की बात पर रेल मंत्री कितना गौर करेंगे यह अभी भविष्य की बात है लेकिन रेलों का संचालन बंद होने से यात्रियों को यकीनन परेशानी होगी। अकेली उद्यान आभा से पांच सौ से अधिक यात्री प्रतिदिन यात्रा करते हैं। सेना के जवान भी बड़ी संख्या में इस गाड़ी में आवाजाही करते हैं। अब हावड़ा या उत्तरप्रदेश, बिहार जाने वालों को यह ट्रेन आगरा से पकडऩी होगी। ऐसे में सोचा जा सकता है कि इन यात्रियों को आगरा पहुंचने में कितने पापड़ बेलने होंगे। जेब पर अतिरिक्त खर्चा बढ़ेगा सो अलग।
विडम्बना देखिए गाहे-बगाहे रेलवे संवेदनशील होने के उदाहरण पेश करता हैं। कभी किसी को एक फोन पर ही मदद मिल जाती है तो कभी कोई ट्वीट करके रेल मंत्री से सहायता पा लेता है लेकिन श्रीगंगानगर में लोगों की पुरजोर मांग व सांसद के कहने के बावजूद रेल बोर्ड सुनवाई नहीं कर रहा है। इस मामले में रेलवे की संवदेनशीलता कहां चली जाती है। रेलवे एक फैसले को लेकर लकीर का फकीर क्यों बना हुआ है। मौसम साफ हो तथा रेल संचालन किसी तरह से प्रभावित न हो तो फिर क्या पुराने फैसलों की नए सिरे से समीक्षा नहीं की जानी चाहिए? बिना कोहरे के ही रेलों का संचालन रद्द करना एक तरह की मनमर्जी ही है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी इस मामले में और अधिक गंभीरता के साथ प्रयास करने चाहिए।

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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 03 दिसंबर 17 के अंक में.प्रकाशित

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