Saturday, December 16, 2017

इस तरह बच गई जिंदगी

बस यूं ही
सोमवार सुबह जयपुर से रवाना हुआ। दोपहर बाद सरदारशहर पहुंचा तो श्रीमती का फोन आ गया। कहने लगी आज तो घर के सामने एक बड़ा मामला हो गया। बडे़ मामले का नाम सुनकर मैं थोड़ा सकपकाया और पूछा क्या हुआ? इसके बाद उसने जो बताया उसे सुनकर खुशी भी हुई और मन में कई तरह के ख्याल भी आए। दरअसल, सुबह 11 बजे तेज आवाज आई। बाहर जाकर देखा तो एक युवक घायलावस्था में कराह रहा था। पूरा शरीर लहूलुहान हो गया था। उसको टक्कर मारने वाला दूसरा मोटरसाइकिल सवार वहां से जा चुका था। इसके बाद हमारे मकान मालिक श्री अंबालाल भाटी ने तत्काल उस युवक को संभाला। हमारी श्रीमती निर्मल कंवर ने अपनी ओढ़णी (लूगड़ी ) दी ताकि युवक के सिर से बहते खून को रोका जा सके। तत्काल ओढ़णी को सिर पर लपेटा। अब युवक इस हालत में था कि उसको बाइक पर ले जाना संभव नहीं था। भाटी अंकल ने तत्काल श्रीमती से मेरी कार की चाबी मांगी। श्रीमती ने मौके की नजाकत देखते हुए तत्काल कार की चॉबी अंकल को सौंप दी। बिना वक्त गंवाए अंकल उसको तत्काल अस्पताल लेकर चले गए। बताया कि हादसे में युवक के सिर में फ्रेक्चर हुआ बताया। परिजन बाद में उसको निजी अस्पताल ले गए बताए, जहां उसकी हालत खतरे से बाहर बताई गई है। युवक श्रीगंगानगर जिले के रत्तेवाला गांव का बताया गया है तथा श्रीगंगानगर में किसी मेडिकल दुकान पर काम करता है।
कौन करता है एेसे मदद
शाम को दो युवक घर आए, जो उस युवक के परिजन थे। दोनों ने हाथ जोड़ते हुए कहा कि मतलब व स्वार्थ के इस दौर में कौन इस तरह मदद करता है। लोग तो पुलिस के चक्कर में इस तरह के मामलों में मदद ही नहीं करना चाहते।। युवक मदद के लिए बार-बार धन्यवाद ज्ञापित कर रहे थे। इसके बाद श्रीमती ने घायल युवक का हेलमेट, रुपए व पैन इन युवकों को सौंप दिया। सच में इस तरह के काम से जो आत्मिक सुख मिलता है, उसको शब्दों में बयां करना मुश्किल हो जाता है। यह नेक व पुनीत काम है इसका कोई मोल नहीं होता है। काश, इस तरह की सेवा का जज्बा सबके मन में हो।

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