Saturday, December 16, 2017

भाई से बात करवाओ

बस यूं ही
समय यही कोई सवा एक बजे के करीब होगा। मेरे मोबाइल पर दिल्ली के लैंडलाइन नंबर से कॉल आई। थोड़ी देर में ट्रयू कॉलर पर नाम आया कोटक। मैंने कॉल उठाया तो सामने वाला पूछता है आप महेन्द्र शेखावत बोल रहे हैं । मैंने हां कह दिया इसके बाद का वार्तालाप सुनिए।
सही में महेन्द्र शेखावत ही बोल रहे हैं ना?
हां भई हां महेन्द्र शेखावत ही बोल रहा हूं।
क्या नरेन्द्र शेखावत आपका भाई है?
कौन नरेन्द्र शेखावत। इस नाम का मेरा कोई भाई नहंी है।
अरे नरेन्द्र शेखावत आपका भाई है ना।
अरे भाई हम तीन भाई हैं। बड़े का केशरसिंह, बीच वाले का सत्यवीरसिंह और मेरा महेन्द्र नाम है।
नहीं-नहीं आप झूठ बोले रहे हैं। आप नरेन्द्र शेखावत से बात करवाओ।
मैंने थोड़ी तल्ख आवाज में कहा, आप कहां से बोल रहे हैं?
कोटक से बोल रहे हैं।
अरे कहां से पूछ रहा हूं।
बताया ना कोटक से।
कोई शहर का नाम भी होगा?
हम नोएडा दिल्ली से बोल रहे हैं।
हां तो बताएं क्या काम है?
आपका नंबर रेफरेंन्स में लिखा हुआ है। नरेन्द्र शेखावत आपकी जान पहचान का है।
अरे भई कहा ना मैं किसी नरेन्द्र शेखावत को नहीं जानता।
तो फिर आपके नंबर क्यों दिए?
यह मुझे क्या पता। आपने फार्म लिया तब मुझसे कन्फर्म किया था क्या?
अरे आप झूठ बोल रहे हैं। बात कराओ ना नरेन्द्र शेखावत से।
भाई आपके समझ क्यों नहीं आता है। मैं मेरे आफिस से बोल रहा हूं।
मैं उसको बार-बार समझाता रहा लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं। मैंने थोड़े से तल्ख लहजे में उसको कहा कि भाईसाहब आप ख्वामखाह क्यों परेशान कर रहे हैं। मैं सच कह रहा हूं नरेन्द्र शेखावत नाम का शख्स कोई मेरा भाई नहंी है। आखिरकार झुंझलाते हुए उसने फोन रख दिया। करीब दो मिनट तेरह सेकंड का यह वार्तालाप हुआ। उसने अपना परिचय शायद महेन्द्रा बैंक या फायनेंस दिया था। यकीनन किसी ने कोई लोन उठाया होगा। मैं सोच में डूबा था कि कोई इस तरह भी नंबर का इस्तेमाल कर सकता है। करने वाले ने लाभ उठा लिया लेकिन उसका खामियाजा मेरे को नाहक ही भुगतना पड़ा। सच में मैं दिनभर यही सोचता रहा कि लोग क्या-क्या करने लगे हैं। मेरे से भूल यह हो गई कि मैं उससे नरेन्द्र शेखावत के पिता का नाम व एड्रेस नहीं पूछ पाया। वरना मैं भी मेरी तफ्तीश के घोड़े तो दौड़ाता। हां जिस नंबर से फोन आया था वह नंबर 01147035415 थे।

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