Wednesday, January 31, 2018

मुर्दे भी सुरक्षित नहीं!

टिप्पणी
श्रीगंगानगर के पदमपुर रोड स्थित श्मशान (कल्याण भूमि) में दर्जनों कब्र खुदने तथा शव गायब होने का हैरतअंगेज मामला सामने आने के बावजूद अभी तक पहेली ही बना हुआ है।रहस्य से अभी पर्दा उठाना बाकी है, लेकिन इतना तय है कि इस अमानवीय कृत्य के पीछे बड़ा कारण मानवीय लापरवाही भी रही है। कल्याण भूमि की अधिकतर कब्रें कोई एक रात में तो खुदी नहीं। मौकास्थल के हालात से यह जाहिर भी होता है कि यह शर्मनाक व कुत्सित कृत्य लंबे समय से हो रहा था। शर्मसारकरने वाले इस कृत्य को लेकर अब कई तरह की शंकाएं व चर्चाएं हैं। मसलन, कोई इसे श्वानों से जोड़ रहा है तो कोई तांत्रिक विद्या की तरफ इशारा कर रहा है। कोई इसका संबंध मानव तस्करी से बता रहा है तो कोई किसी नरभक्षी की आशंका जता रहा है। कोई इसे नशेडिय़ों की कारस्तानी भी प्रचारित कर रहा है। जितने मुंह, उतनी बातें और उतनी ही शंकाएं व चर्चाएं हैं लेकिन यह सब क्यों व कैसे हुआ, यह अभी राज ही है। कल्याण भूमि में मिले कपड़े, शराब की खाली बोतलें, बर्तन, हड्डियां आदि इस प्रकरण को गंभीर बनाते हैं। इस समूचे घटनाक्रम को श्वानों से जोड़कर ज्यादा प्रचारित किया जा रहा है लेकिन क्या श्वान कब्र पर रखे भारी पत्थर को उठा सकता है? कब्र पर रखे जाने वाले नमक के कट्टे को खिसका सकता है? यह कैसे संभव है कि श्वान कब्र खोदकर शव खा जाए लेकिन जिस कपड़े में शव को लपेटा जाता है, वह बिल्कुल भी कटे-फटे नहीं? शराब की खाली बोतलों एवं जले हुए बर्तनों से श्वानों का क्या वास्ता? खैर, इन सभी सवालों से पर्दा कारगर व मुकम्मल जांच के बाद ही उठेगा। सवाल तो कल्याण भूमि की देखरेख करने वाली कमेटी पर भी उठ रहे हैं। इस तरह का घिनौना खेल लंबे समय तक चलता रहा लेकिन कमेटी व उसके पदाधिकारी अनजान ही रहे। बहरहाल, अब वह सब होगा जो इस बड़ी लापरवाही की वजह बना। हो सकता है अब कल्याण भूमि में सुरक्षाकर्मी तैनात हो जाएं। आसपास की दीवारों को ऊंचा कर दिया जाए। सीसीटीवी कैमरों का दायरा तक बढ़ा दिया जाए। रात को रोशनी की व्यवस्था हो जाए, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद होना ही पर्याप्त नहीं है। इससे भी कहीं ज्यादा जरूरी है इस प्रकरण में रही खामियों का खुलासा होना। कल्याण भूमि की व्यवस्था देखने वालों के कामकाज व भूमिका की भी बिना किसी दबाव व गहनता से जांच होना। भविष्य में इस तरह का अमानवीय कृत्य न हो इसलिए जरूरी यह भी है कि लापरवाहियों से सबक लिया जाए। इस कल्याण भूमि के साथ-साथ शहर के अन्य श्मशानों व कब्रगाहों की सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त तो हर हाल में तत्काल प्रभाव से जरूरी हैं। क्योंकि जहां मुर्दे ही सुरक्षित नहीं हैं, वहां जान माल किसके भरोसे महफूज है, यह सवाल बड़ा है!

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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 25 जनवरी 18 के अंक में प्रकाशित

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