Saturday, August 4, 2018

चंडीगढ़ यात्रा-10

संस्मरण
कला दीर्घा से निकलने हम एक दुकान पर गए। भतीजे ने पूछा कोल्ड ड्रिंक लेंगे या सादा पानी। मैंने सादे पानी के लिए बोल दिया। गला तर करने के बाद एक पेड़ की छांव में सुस्ताने लगे। गर्मी से हलकान काफी लोग वहां पेड़ों की छांव में बैठे थे। इसी दौरान मैं सोचने लगा कि आदमी की मेहनत और कल्पना सब साकार होती है तो क्या से क्या बना देती है। सच में यकीन नहीं होता यह सब देखकर। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता वाली लोकोक्ति मुझे यहां बेमानी नजर आ रही थी। बताते हैं कि जब चंडीगढ़ का नक्शा बना था, उसमें रॉक गार्डन नहीं था। मैंने कहीं पढ़ा कि चंडीगढ़ बसाने के लिए जो जगह अधिग्रहित की गई तब उसकी जद में कुछ गांव व ढाणियां भी आ गए। उनको अन्यत्र शिफ्ट किया गया था, लेकिन उनके मकानों के अवशेष व मलबा वहीं रह गए। तब समस्या यह खड़ी हो गई कि इतने मलबे और कचरे का निस्तारण कहां किया जाए। एेसे में इसको कैपिटोल काम्प्लेक्स स्थित स्टोर में जमा किया जाने लगा। उस वक्त पीडब्ल्यूडी में कार्यरत श्री नेकचंद सैनी के पास इस स्टोर की जिम्मेदारी थी। बताते हैं कि मलबा ज्यादा होने लगा तो टेकचंद ने इसका निस्तारण कैसे व कहां हो इसकी कल्पना की। वो टाइल्स व वाशबेसिन के टुकड़ों को देखकर कल्पना के घोड़े दौडऩे लगते। कहते हैं कि धीरे-धीरे नेकचंद की कल्पना ने मूर्तरूप में लेना शुरू किया। वो दिन में स्टोर में काम करते और रात को कल्पनाओं में रंग भरते। इनका यह काम अनवरत जारी रहा। बताता चलूं कि नेकचंद सैनी का जन्म 15 दिसंबर 1924 को शिकारगढ तहसील के एक गांव में हुआ था। यह गांव अब पाकिस्तान में है। उनका परिवार सब्जियां उगाकर घर का खर्च चलाता था. भारत-पाक विभाजन के बाद नेकचंद भारतीय पंजाब के एक छोटे शहर में रहने लगे। यहां उनको रोड इंस्पेक्टर की नौकरी मिल गई। इसके बाद उनका तबादला चंडीगढ़ हो गया। चंडीगढ़ के निर्माण के वक्त 1951 में नेकचंद को सड़क निरीक्षक के पद पर रखा गया। नेकचंद ड्यूटी के बाद अपनी साइकिल उठाते और खाली कराए गए गांवों या कबाड़ स्टोर से टूटा फूटा सामान उठा लाते। वो अपने काम को इतनी सावधानी से निपटा रहे थे कि सरकारी अधिकारियों को इस बात की भनक 1975 में लगी। तब तक नेकचंद चार एकड़ जगह पर कलाकृतियां बना चुके थे। सरकार ने इस अवैध निर्माण को तोड़ने या हटाने की कोशिश तो लोग नेक चंद के समर्थन में खड़े हो गए। आखिरकार लेंडस्केप एडवायजऱी कमेटी ने इस गार्डन को बनाने की अनुमति दे दी। इस तरह रॉक गार्डन चंडीगढ़ की न केवल पहचान बना बल्कि देश के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में भी शुमार हो गया।
क्रमश:

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