Wednesday, October 31, 2018

दोनों दलों को राजनीति की बिसात पर जिताऊ चेहरों की तलाश

श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ : कांग्रेस और भाजपा दोनों का पहला मुकाबला अंदरूनी लड़ाई से
सरहदी और नहरी क्षेत्र में राजनीति की बिसात पर जिताऊ मोहरों की तलाश जोरों पर है। फिलवक्त दोनों बड़ी पार्टियों ने उम्मीदवारी के पत्ते नहीं खोले हैं। पिछले चुनाव में श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ की सभी 11 सीटों पर हार का रेकॉर्ड बनाने वाली कांग्रेस को इस बार सत्ता-विरोधी मतों और बदलाव की बयार से आस है। इसी तरह 2013 में मोदी लहर पर सवार भाजपा ऐसे चेहरे चाहती है, जिनसे उसकी प्रतिष्ठा बची रहीे। कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है तो भाजपा के लिए पुरानी सफलता को बरकरार रखना बड़ी चुनौती है। खास बात यह कि दोनों जिलों के मतदाता कुछ सीटों पर पार्टियों से ज्यादा पसंदीदा चेहरों पर भी दांव लगाते रहे हैं। पिछले तीन चुनाव के परिणाम यही साबित करते हैं।
श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों ने अब तक दो दर्जन से ज्यादा मंत्री दिए हैं। भाजपा-कांग्रेस के अलावा इन चेहरों में निर्दलीय भी शामिल हैं। इन्होंने न सिर्फ सरकार बनाने/बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि मंत्रिमंडल में जगह भी बनाई। दोनों जिलों से जनप्रतिनिधियों को कृषि, सिंचाई, गृह, खान और श्रम जैसे महत्वपूर्ण विभाग मिले हैं। इस प्रतिनिधित्व के बावजूद किसानों की कुछ समस्याएं जस की तस हैं। चुनाव को लेकर अभी यहां किसी बड़े नेता का आगमन नहीं हुआ है। संभाग मुख्यालय पर जरूर भाजपा व कांग्रेस अध्यक्षों की सभाएं हो चुकी हैं। दोनों जिलों में ओवरऑल एससी मतदाता ज्यादा हैं। संगरिया, श्रीगंगानगर, सादुलशहर और श्रीकरणपुर में सिख और पंजाबी मतदाता खासा दखल रखते हैं, जबकि नोहर और भादरा में जाट मतदाताओं का परचम बुलंद है।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दोनों जिलों की 11 में से 10 विधानसभाओं में गौरव यात्रा निकालकर कार्यकर्ताओं में जोश फूंकने का काम किया। भाजपा ने रायशुमारी का चरण पूरा कर लिया है। कांग्रेस अंदरखाने जीतने वाले चेहरों पर मंथन कर रही है। प्रचार की समरभूमि पर भाजपा और रणनीतिक कौशल में कांग्रेस कुछ आगे है। गुटबाजी व धड़ेबंदी दोनों ही दलों में है। दावेदारों की संख्या को देखते हुए टिकट चयन का काम दोनों दलों के लिए आसान काम नहीं है। पिछले चुनाव में कांग्रेस की हार भी बड़ी थी क्योंकि श्रीगंगानगर की छह सीटों में से मात्र दो पर ही मुकाबले में रही। अनपूगढ़ में तो वह चौथे स्थान पर खिसक गई। इसी तरह हनुमानगढ़ जिले की पांच सीटों में से चार पर कांग्रेस मुकाबले पर रही लेकिन भादरा में वह पांचवें स्थान पर रही।
भाजपा : श्रीगंगानगर की सभी छह सीटों पर अभी द्वंद्व है। टिकट वितरण के बाद स्थिति स्पष्ट होगी। जिले से सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी एकमात्र मंत्री बने, लेकिन विरोध के सुर उनके खुद के विधानसभा क्षेत्र में ही हैं। पिछले चुनाव में वह कम अंतर से जीत पाए थे। रायसिंहनगर में सांसद या उनके परिजनों को टिकट देने की चर्चा है। सादुलशहर में मौजूदा भाजपा विधायक अपने पोते को राजनीतिक विरासत सौंपने की घोषणा कर चुके हैं। श्रीगंगानगर में भाजपा को टिकट फाइनल करने में जोर आएगा। जनता यहां भैरोसिंह शेखावत जैसे कद्दावर नेता को हरा चुकी है। अनपूगढ़ में नाम पट्टिका को लेकर हुए विवाद पर भाजपा का दो धड़ों में बंटना पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है। सूरतगढ़ में पूर्व विधायक सक्रिय हैं, उससे भाजपा की नींद उड़ी है। उधर, हनुमानगढ़ जिले में नोहर सीट पर घमासान की उम्मीद है। रावतसर पालिका अध्यक्ष के पति की हत्या यहां के चुनाव को प्रभावित कर सकती है। भादरा में पिछली बार भाजपा जीत गई लेकिन इस सीट का इतिहास अलग ही रहा है। यहां मतदाता उम्मीदवार को रिपीट करने में कम विश्वास करते हैं। हनुमानगढ़ में मुकाबला रह सकता है। पीलीबंगा में इस बार टिकट कटने की चर्चा है। हालांकि पिछले चुनाव में यहां जीत का अंतर दस हजार से ऊपर था। संगरिया में भी भाजपा में कई दावेदार हैं।
कांग्रेस : सत्ता विरोधी मतों की आस में कांग्रेस उत्साह से लबरेज है। इसने दावेदार बढ़ा दिए हैं। पायलट व गहलोत धड़े यहां भी हैं। श्रीगंगानगर में नगर परिषद के सभापति के बड़े भाई ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर हलचल मचा दी। यहां कई दावेदार हैं। करणपुर में पार्टी पिछले चुनाव ज्यादा अंतर से नहीं हारी। इस बार पूरा जोर लगाने के मूड में है। सादुलशहर में भी कांग्रेस कम अंतर से हारी, लेकिन अब दावेदार कई हैं। वर्तमान विधायक अगर पोते को टिकट दिलवाने में कामयाब होते हैं तो मुकाबला दिलचस्प होगा। यहां मुख्यमंत्री की गौरव यात्रा के दौरान अन्य दावेदारों ने एकजुटता से शक्ति प्रदर्शन किया था। सूरतगढ़ में पार्टी पूर्व विधायक पर ही दांव खेल सकती है। रायसिंहनगर से दावेदार कई हैं। जमींदारा पार्टी से जीती वर्तमान विधायक भी कांग्रेस में शामिल हो चुकी हैं। अनूपगढ़ में कांग्रेस अभी तक पैर नहीं जमा पाई है। हनुमानगढ़ में कांग्रेस पुराने चेहरे पर दांव खेल सकती है। संगरिया में पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक दावेदार हैं।
तीसरा मोर्चा व अन्य : श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में अन्य दलों या निर्दलीय ने उपस्थिति दर्ज करवाई है। पिछले चुनाव में जमींदारा पार्टी ने दो सीटें निकाली थीं। 2013 में माकपा प्रत्याशी अनूपगढ़ में तीसरे तथा भादरा में दूसरे स्थान पर रहे। यह दोनों प्रत्याशी फिर तैयार हैं। चर्चा है श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले की दो सीटों पर माकपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन हो सकता है। बसपा हालांकि कमजोर है, लेकिन सूरतगढ़ में पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रही। दोनों ही जिलो में निर्दलीय ने भी अच्छे वोट लिए। पिछले चुनाव में संगरिया, हनुमानगढ़, नोहर व पीलीबंगा में निर्दलीय तीसरे स्थान पर रहे।
चुनाव के प्रमख मुद्दे
नहरी पानी की कमी
नहरों का जीर्णोद्धार
कानून व्यवस्था
नशा और रोजगार
चिकित्सा व्यवस्था
मेडिकल कॉलेज और कृषि विवि
दलीय स्थिति
2013
भाजपा- 9, जमींदारा पार्टी- 2
2008
भाजपा- 2, कांग्रेस- 6, अन्य- 3
2003
भाजपा-7, कांग्रेस-1, अन्य-3
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 22 अक्टूबर 18 को राजस्थान पत्रिका के राजस्थान के तमाम अंकों में प्रकाशित विशेष रिपोर्ट।

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