Wednesday, October 31, 2018

कई बार बनी, बदली और बिगड़ी है इन सीटों की तस्वीर

पांच से 11 विधानसभा क्षेत्र होने की रोचक कहानी
श्रीगंगानगर. यह कहानी बड़ी रोचक है। इसमें बनने, बदलने और बिगडऩे के कई उदाहरण है। यह कहानी है अविभाजित श्रीगंगानगर के पांच विधानसभा क्षेत्र की जिनकी संख्या अब 11 हो चुकी है। इसके अलावा हनुमानगढ़ अलग से जिला भी बन चुका है। इस घटत-बढ़त में कुछ नाम नए अस्तित्व में आए तो कुछ सदा के लिए अतीत के पन्नों में दफन हो गए। इतना ही नहीं सुरक्षित सीटों के स्थान बदलते रहे हैं। कई सुरक्षित से सामान्य बन गई तो कुछ सीटें सामान्य से सुरक्षित हो गई। राजस्थानप विधानसभा के पहले चुनाव 1952 में अविभाजित श्रीगंगानगर में कुछ पांच सीटें थी। भादरा, नोहर, सादुलगढ़, श्रीगंगानगर व रायसिंहनगर-करणपुर। रायसिंहनगर व करणपुर दोनों को एक मिलाकर एक सीट थे पर दो विधायक चुने गए। 1957 के चुनाव में श्रीकरणपुर व रायसिंहनगर अलग-अलग विधाानसभा हो गए लेकिन भादरा को नोहर में मर्ज कर दिया तब नोहर में भी एक सीट पर दो विधायक चुने गए। इस कार्यकाल में सूरतगढ़ नई विधानसभा बनी। सादुलगढ का नाम बदलकर हनुमानगढ़ भी इसी दौरान हुआ। दूसरे चुनाव में सीटों की संख्या पांंच से छह हो गई। के चुनाव में रावतसर नई विधानसभा बनी और कुल विधानसभा सात हो गई। इसके बाद 1967 के चुनाव में संगरिया व केसरीसिंहपुर बनी। रावतसर खत्म हो गई और भादरा सीट फिर से अस्तित्व में आ गई। कुल संख्या नौ हो गई। 1972 के चुनाव में भी इतनी ही सीटें रही। 1977 के चुनाव में टिब्बी व पीलीबंगा दो नई विधानसभा और बनी और संख्या 11 हो गई। इसके बाद 2008 के चुनाव में संख्या तो 11 ही रही लेकिन टिब्बी व केसरीसिंहपुर सीटों के बदले सादुलशहर व अनूपगढ़ नई विधानसभाएं बनीं।
सुरक्षित सीटों का भी रोचक इतिहास
1951 के चुनाव में श्रीगंगानगर जिले में कोई सीट सुरक्षित नहीं थी। 1957 में नोहर को सुरक्षित सीट बनाया गया। इसके बाद 1962 के चुनाव में नोहर सामान्य हो गई और नए सीट रावतसर को सुरक्षित बनाया गया। 1967 के चुनाव में रावतसर खत्म हो गई जबकि रायसिंहनगर को सुरक्षित सीट घोषित किया गया। रायसिंहनगर तब से सुरक्षित सीट है। इसी तरह संगरिया 1967 व 1972 के चुनाव में सुरक्षित सीट रही। 1967 में बनी सीट केसरीसिंहपुर भी सुरक्षित सीट रही। 1997 के चुनाव में रायसिंहनगर के साथ टिब्बी व केसरीसिंहपुर सुरक्षित सीटें रही। 2008 के चुनाव में केसरीसिंपुर व टिब्बी का अस्तित्व खत्म हो गया। इसके बाद पीलीबंगा व अनूपगढ़ को सुरक्षित सीट घोषित किया गया जबकि रायसिंहनगर पूर्व की तरह सुरक्षित चलती रही।
अतीत का हिस्सा बन गई यह विधानसभाएं
राज्य के पहले चुनाव में सादुलगढ़ विधानसभा क्षेत्र था लेकिन इसके बाद इस नाम की सीट खत्म कर दूसरे नाम से बनाई है। इसी तरह रावतसर विधानसभा केवल 1962 के चुनाव में सामने आई बाद में यह क्षेत्र लोप हो गया। केसरीसिंहपुर व टिब्बी 1967 से अस्तित्व में आए लेकिन 2008 में इनका नाम भी हट गया।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर व हनुमान संस्करण के 20 अक्टूबर 18 के अंक में प्रकाशित। 

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