Wednesday, October 31, 2018

विडम्बना : सत्ता में सदा सहभागी फिर भी सरकारों से सौतेलेपन की शिकायत

लगभग हर मंत्रिमंडल में मिला है श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिले को प्रतिनिधित्व
श्रीकरणपुर से जीतने वालों को मिला है सर्वाधिक मौका, अब तक छह मंत्री
श्रीगंगानगर. विडम्बना देखिए, सरहदी क्षेत्र के जिले श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ (1952 से 1993 तक चुनाव में श्रीगंगानगर जिला) के लोगों को सत्ता से सौतेलापन करने की हमेशा शिकायत रहती आई है, जबकि यहां से जीते जनप्रतिनिधियों को हर बार सत्ता में सहभागिता निभाने का मौका मिला है। इतना ही नहीं यहां के जनप्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में कृषि, सिंचाई, राजस्व, श्रम, खान, गृह जैसे महत्वपूर्ण विभाग भी मिले हैं। पहली विधानसभा से मौजूदा विधानसभा तक अविभाजित श्रीगंगानगर (1994 में हनुमानगढ़ अलग हुआ) के जनप्रतिनिधियों को मंत्री बनने का मौका मिलता रहा है। इनमें भी सर्वाधिक मौका श्रीकरणपुर से जीतने वालों को मिला है। इसके बावजूद क्षेत्र की एक बड़ी शिकायत पानी को लेकर हमेशा रहती आई। वैसे तो सभी विधानसभाओं को किसी न किसी कार्यकाल में सत्ता में भागीदारी का मौका मिल चुका है लेकिन अविभाजित श्रीगंगानगर का हिस्सा रहे सूरतगढ़ व नोहर विधानसभा क्षेत्र को अभी तक कोई मंत्री नहीं मिला। कुछ ऐसे नेता भी हैं जो पूरे पांच साल मंत्री नहीं रहे।
इनको भी मिली जिम्मेदारी
नोहर से लक्ष्मीनारायण भांभू को 1985 में तथा सूरतगढ़ से विजयलक्ष्मी बिश्नोई को 1998 में संसदीय सचिव बनाया। यह दोनों कांग्रेस सरकार में रहे। 2003 में केसरीङ्क्षसहपुर से ओपी महेन्द्र मुख्य उप सचेतक बनाया जबकि 2008 में भादरा से निर्दलीय जीते जयदीप डूडी संसदीय सचिव बने।
निर्दलीयों को भी मिला है मौका
मंत्री केवल कांग्रेस या भाजपा में ही नहीं बने बल्कि निर्दलीय भी खूब बने हैं। 1990 में पीलीबंगा से निर्दलीय जीते रामप्रताप कासनिया, 1993 में टिब्बी से निर्दलीय शशिदत्ता, संगरिया से निर्दलीय गुरजंटसिंह तथा भादरा से निर्दलीय जीते चौधरी ज्ञानसिंह चौधरी को मंत्रिमंडल में जगह मिली। इस प्रकार 2008 में भादरा से निर्दलीय जीते जयदीप डूडी कांग्रेस सरकार में संसदीय सचिव बने। श्रीकरणपुर से जीते गुरमीत कुन्नर भी निर्दलीय जीतकर मंत्री बने तथा बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।
किस विधानसभा से कितनी बार मंत्री
श्रीकरणपुर छह बार
हनुमानगढ़ पांच बार
संगरिया चार
गंगानगर तीन बार
भादरा तीन बार
टिब्बी दो बार
केसरीसिंहपुर एक
पीलीबंगा एक
रायसिंहनगर एक
सादुलगढ़ एक
नोट - वर्तमान में सादुलगढ़, केसरीसिंहपुर, टिब्बी विधानसभा का अस्तित्व समाप्त हो चुका है। 2008 को अस्तित्व में आई सादुलशहर व अनूपगढ़ से दो चुनाव में किसी को मौका नहीं मिला है।
दो या इससे अधिक बार मंत्री व उनका दल
नाम दल
चौधरी रामंचद कांग्रेस
केदार शर्मा जनता पार्टी/ जनता दल
केसी बिश्नोई कांग्रेस
सुरेन्द्रपालसिंह भाजपा
डॉ. रामप्रताप भाजपा
लालचंद डूडी जनता पार्टी/ जनता दल
हीरालाल इंदौरा कांग्रेस
नोट - इनमें चौधरी रामचंद्र तीन बार तथा बाकी सभी दो-दो बार मंत्री बने। यह एक बार रहे मंत्री
कौनसे कार्यकाल में कितने मंत्री
1967-72 में दो मंत्री
1977-80 में तीन मंत्री
1980-85 में दो मंत्री
1985-90 में दो मंत्री
1990-92 में चार मंत्री
1993-98 में चार मंत्री
1998-2003 में तीन मंत्री
2008-13 में दो मंत्री
2013-18 में दो मंत्री
1952-57, 1957-62, 1972-77 तथा 2003-08 के कार्यकाल वाली सरकारों में एक-एक मंत्री रहा जबकि 1962 -67 में कोई मंत्री नहीं रहा।
यह एक बार रहे मंत्री
नाम दल
बृजप्रकाश गोयल कांग्रेस
विनोद कुमार कांग्रेस
डूंगरराम पंवार जनता पार्टी
शशिदत्ता निर्दलीय
रामप्रताप कासनिया निर्दलीय
चौधरी ज्ञानसिंह निर्दलीय
गुरजंटसिंह निर्दलीय
दुलाराम कांग्रेस
राधेश्याम कांग्रेस
गुरदीपङ्क्षसह कांग्रेस
कुंदन मिगलानी भाजपा
जगतारङ्क्षसह कंग कांग्रेस
गुरमीत कुन्नर निर्दलीय
नोट - गुरजंट सिंह संगरिया से निर्दलीय जीते बाद में भाजपा में शामिल हुए। इसी तरह, गुरमीत कुन्नर श्रीकरणपुर से निर्दलीय जीतकर कांग्रेस में शामिल हुए। पीलीबंगा से निर्दलीय जीतकर मंत्री बने रामप्रताप कासनिया ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
सत्ता से शिकायत की वजह
इलाके का दुर्भाग्य रहा कि जन नेताओं को सरकार में शामिल होने का मौका ही नहीं मिला। हकीकत में टिकट खरीद-फरोख्त करने वाले नेता ही सरकार में शामिल हुए। ऐसे मंत्री सरकार को बचाने में ज्यादा लगे रहे, इन नेताओं ने किसानों को बचाने का प्रयास ही नहीं किया। तभी तो किसानों से जुड़ी समस्याएं आज तक यथावत है।
बलवान पूनिया, किसान नेता, हनुमानगढ़
&मंत्रिमंडल में पूरा प्रतिनिधित्व मिलने के बावजूद किसानों से जुड़ी समस्याएं अब तक यथावत है। जो मंत्री बने उनका व्यक्तिगत स्वार्थ, सामूहिक हित पर हावी रहा। वर्ष 1993 में तो हनुमानगढ़-श्रीगंगानगर में मंत्रियों की बहार आ गई, लेकिन किसानों की किस्मत चमकाने के लिए किसी ने प्रयास नहीं किए। नए उद्योग धंधे लगाने की बजाय जिले की एकमात्र सहकारी स्पिनिंग मिल भी मंत्रियों की वजह से बंद हो गई।
ओम जांगू, किसान नेता, हनुमानगढ़
&जब विधानसभा चुनाव होता है तब कांग्रेस-भाजपा सहित अन्य नेता किसानों की आवाज उठाने की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। सिंचाई पानी, कृषि भूमि जोत, कृषि जिन्सों के भाव आदि दिलवाने का वादें करते हैं। जीत कर विधानसभा में पहुंचते हैं और मंत्री बन जाते हैं तब किसानों के मुद्दों को भूल जाते हैं और पार्टी के गुणगान करने लग जाते हैं। इस स्थिति में फिर किसान संगठनों को किसानों की आवाज उठाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
एडवोकेट सुभाष सहगल, प्रवक्ता किसान संघर्ष, समिति श्रीगंगानगर।
&चुनाव में नेता किसानों के लिए सिंचाई पानी दिलवाने, कृषि जिन्सों के भाव, पूरी खरीद और गंगनहर के रखरखाव सहित हर वादा करते हैं। किसानों के बीच जाकर बड़े वादें करते हैं लेकिन जब चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंच जाते हैं तब किसान के लिए कुछ नहीं करते। किसानों की आवाज विधानसभा में नहीं उठाते हैं। जब ऐसा नहीं करते हैं तब मजबूरी में किसान संगठनों को आंदोलन करना पड़ता है।
रणजीत सिंह राजू, संयोजक, गंगानगर किसान संघर्ष समिति।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ संस्करण 23 अक्टूबर 18 के अंक में  में प्रकाशित ।

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