Wednesday, October 31, 2018

किसानों का कर्ज माफ करने से नहीं होगा समस्या का हल

सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र : खेती के भले के लिए नीति-नियमों में बदलाव जरूरी
श्रीगंगानगर जिले की पहचान सरसब्ज जिले की रूप में होती है लेकिन इस जिले के सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र का काफी हिस्सा बारानी है। इसे स्थानीय लोग टिब्बा क्षेत्र भी कहते हैं। इसी विधानसभा क्षेत्र का एक बड़ा गांव बीरमाना है। सूरतगढ़ से बीरमाना की यात्रा के दौरान किसान खेत में नरमा चुगाई में व्यस्त नजर आए। बीरमाना के स्टैंड पर कुछ ग्रामीण और महिलाएं बस के इंतजार में खड़े हैं। पास ही एक चाय की दुकान व पेस्टीसाइड की दुकान पर ग्रामीण जमा हैं। पानी और किसानों की चर्चा की तो फिर सभी बेबाकी से बोलने लगे। खेती किसानी वाला इलाका है, इसलिए चिंता व चर्चा भी उसी की है। पूर्व सरपंच ओमप्रकाश गेदर व पंचायत समिति सदस्य कृष्ण कुमार स्वामी कहते हैं कि किसान का भला जिस दिन हो जाएगा। सारी समस्याएं ही खत्म हो जाएंगी। नियमों में इतनी विसंगति हैं कि किसान को लाभ नहीं मिल पाता। वे कहते हैं कि सरकारें किसानों का कर्जा माफ करती हैं, लेकिन इससे किसानों की समस्या खत्म नहीं होनी वाली। सरकारों को किसानों की वास्तविक समस्या का हल खोजना होगा। इनका कहना था कि कृषि के लिए बजट अलग से होना चाहिए। कृषि जिन्सों की खरीद घोषणा होते ही शुरू हो जाए और इसका भुगतान हाथों हाथ हो तो भी किसानों को राहत मिलेगी। खरीद व भुगतान देरी से होने के कारण किसान अपनी जिन्स बाजार में बेचने को मजबूर होता है। सरकार को इस व्यवस्था में सुधार करना चाहिए। पास बैठे हरीश कुमार मंगलाव, जगदीश शर्मा, रामकुमार शर्मा, चेतराम टाक, काशीराम टाक, भागीरथ बरोड़ व हीरालाल टाक आदि भी सहमति में सिर हिलाते हैं। फिर कहते हैं फसल बीमा की विसंगतियों को दूर किया जाना चाहिए। 
पांच साल हो गए नरमे में अजीब तरह की बीमारी लग रही है। जितना खर्चा हो रही है उतनी आमदनी होती नहीं है। बीमा की विसंगति दूर होने से भी किसानों को फायदा होगा। ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि सरकार को पेट्रोल व डीजल पर भी जीएसटी लागू करना चाहिए तथा किसानों को डीजल पर सब्सिडी देनी चाहिए। ग्रामीणों को यकीन है कि सरकारें चाहें तो सब कुछ संभव हैं लेकिन उनकी कथनी और करनी में अंतर के कारण किसानों को लाभ नहीं मिल पाता।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 20 अक्टूबर के अंक में ग्राउंड जीरो के तहत लगी। 

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