Thursday, March 29, 2018

यह चहचहाट बड़ा सुकून देती है..

यह मेरा घर है। कभी यहां दिनभर इंसानी आवाजें आती थी लेकिन अब यहां पर सन्नाटा पसरा है..। करीब चार साल से घर का यही हाल है। बीच बीच में कभी कभार यह सन्नाटा टूटता रहता है लेकिन अधिकांश समय ताला ही लगा रहता है। हां इस सन्नाटे को तोड़ता है परिंदों का कलरव। घर के बगल में नोहरे में दर्जनों पेड़ अपने आप ही लग चुके हैं कि यह सघन वन का छोटा सा रूप लगता है। शीशम, शहतूत, खेजड़ी, पीपल, झाड़ी, रोहिड़ा, आम और भी न जाने कितनी ही तरह की वनस्पतियां। यह सब अपने आप ही उगे हैं। वैसे इनको लगाने में सबसे बड़ा योगदान इन परिंदों का ही रहा है। इनकी बीटों में आए बीजों से ही यह संभव हुआ। अब यह पौधे बडे़ पेड़ों में तब्दील हो रहे हैं, लिहाजा मोर, तोते, कबूतर, चिडिया, मैना आदि न जाने कितने ही परिंदों ने यहा स्थायी डेरा बना लिया है। घर में सर्वाधिक शोर तो चिड़िया कि चहचहाहट का है। सुबह से शाम तक यह चहचहाहट बदस्तूर जारी रहती है। चिड़िया को गौरैया भी कहते हैं लेकिन इस नाम से मैं बहुत दिनों बाद परिचित हुआ। गांव में आज भी गौरैया के बारे में पूछ लिया जाए तो शायद ही कोई बता पाए लेकिन चिड़िया के नाम से सब जान जाएंगे। ग्रामीण परिवेश में नर को चिड़ा तथा मादा को च़िडी कहते हैं। वैसे सामान्य नाम चिड़िया ही बोलते हैं।  घर में हर तरफ चिड़िया ही चिड़िया है। घर को अभी चिड़ियाघर का नाम दे दूं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जहां जहां तक इन चिड़ियाओं की पहुंच है, वहां इनका ही दखल है। हां इंसानी उपस्थिति इनको बेहद अखरती है। इनके एकाधिकार को चुनौती लगती है। घर में चिड़िया का एक घौसला तो गार्डर के ऊपर बना रखा है। पता नहीं कैसे व.किसके सहारे अटका है, क्योंकि गार्डर पर घौसला टिक नहीं पाता है फिर भी चिड़ियाएं हिम्मत नहीं हारती। गार्डर के दूसरी तरफ दीवार होने के कारण संभवत: यह घौसला अटका हुआ रह गया और चिड़िया ने इसमें अंडे दे दिए। अब इस घौसले में चिड़िया के बच्चों की चहचहाट भी खूब शोर मचाती है। दिन भर चिड़िया चुग्गा लाती है और अपने बच्चों की चोंच में डालती है। शीशम की नवकोंपल व बर्गर आदि को तोड़ कर वह अपने बच्चों का निवाला बनाती है। भले ही समूचे विश्व में गौरैया की घटती संख्या एक चिंता का विषय बनी हुई है लेकिन मेरे घर व नोहरे में चिड़ियाओं की संख्या व इनका कलरव सुनकर सुकून मिलता है। मोबाइल के की-पैड पर लिखना मेरे लिए बड़ा मुश्किल काम है क्योंकि जो काम लैबटॉप पर मात्र दस मिनट का होता है उसे मोबाइल पर करने में आधा घंटे से ज्यादा समय लगता है। कंपोज करते करते बड़ी कोफ्त होती है। खैर, मामला सुकून का हो और खुद के आंगन का हो तो फिर हर तरह की तकलीफ झेलना स्वीकार है। आज इन चिड़ियाओं की चहचहाहट व इनकी मस्ती को मैंने मोबाइल के कैमरे में भी कैद किया..। आप भी देखें चिड़ियाएं किस तरह धमाल मचाती है। खेलती हैं, फूदकती हैं और मस्ती करती हैं।

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