बस यूं ही
प्यार और युद्ध में सब जायज है, इस जुमले में अब अगर सियासत शब्द भी जोड़ दिया जाए तो किसी को आपत्ति नहीं होगी। आजकल सियासत मतलब चुनाव भी किसी युद्ध से कम नहीं होते और इस चुनावी युद्ध में फतह के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जाने लगे हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा होने में अभी वक्त है, लेकिन राजनीतिक धरातल पर जाजम बिछाने का काम शुरू हो चुका है। राजनीति के संभावित खिलाड़ी पूरे दम-खम के साथ मैदान में कूदे हुए हैं। टिकट किसको मिलेगी, किसकी कटेगी, कौन बागी होगा। कौन किसके समर्थन में बैठेगा तो कौन केवल वोट काटने के लिए खड़ा होगा यह सभी भविष्य की बातें हैं लेकिन इन सब से दूर चुनावी चेहरे अभी से हार जीत की संभावना टटोलने में लग गए हैं। इसी कड़ी में बुधवार को एक ऑनलाइन सर्वे बड़ी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। यह सर्वे झुंझुनूं विधानसभा से संबंधित हैं और इसमें बारह प्रत्याशी हैं जबकि एक विकल्प नोटा का छोड़ा हुआ है। सर्वे के बारह प्रत्याशियों में ज्यादा लोग भाजपा के ही हैं। इससे जाहिर होता है यह सर्वे करवाने वालों में जरूर कोई सतारुढ़ दल का ही आदमी है। यह सर्वे को देखकर दिल तो बहलाया जा सकता है, खुशफहमी पाली जा सकती है लेकिन यह हकीकत से कोसों दूर हैं। दूर इसीलिए क्योंकि यह सर्वे ऑनलाइन है और इसमें एेसी कोई शर्त नहीं है कि इसमें केवल झुंझुनूं विधानसभा के ही मतदाता भाग ले सकते हैं। दूसरी बात यह है कि ऑनलाइन सर्वे हो या फेसबुक पेज के लाइक्स, यह काम भी आजकल प्रायोजित तरीके से खूब होने लगे हैं। पैस फेंककर लाइक्स पाने के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। इन दो बातों से इतर सबसे बड़ी बात यह है कि इस विधानसभा के सभी मतदाता क्या सोशल मीडिया से जुड़े हैं? क्या सभी के पास एंड्रोयड फोन हैं? खैर, यह बात सही है कि मोबाइल आज हर घर में दस्तक दे चुका है लेकिन सभी के पास आज भी नहीं है। हां आज का युवा जरूर मोबाइल फ्रेंडली है। देखते हैं सोशल मीडिया का सर्वे हकीकत में कितना खरा उतरता है। बहरहाल, यह चुनावी सर्वे सोशल मीडिया यूजर के लिए किसी खेल से कम नहीं हैं। हां कुछ अति उत्साही इसको हकीकत मानकर फूले नहीं समा रहे हैं। जैसे-जैसे समय बीतेगा कोई बड़ी बात नहीं इस तरह के सर्वे और विधानसभाओं में भी होने लगे। खैर सपने तो सपने ही होते हैं। यह हसीन भी होते हैं और डरावने भी।
प्यार और युद्ध में सब जायज है, इस जुमले में अब अगर सियासत शब्द भी जोड़ दिया जाए तो किसी को आपत्ति नहीं होगी। आजकल सियासत मतलब चुनाव भी किसी युद्ध से कम नहीं होते और इस चुनावी युद्ध में फतह के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जाने लगे हैं। राजस्थान विधानसभा चुनाव की घोषणा होने में अभी वक्त है, लेकिन राजनीतिक धरातल पर जाजम बिछाने का काम शुरू हो चुका है। राजनीति के संभावित खिलाड़ी पूरे दम-खम के साथ मैदान में कूदे हुए हैं। टिकट किसको मिलेगी, किसकी कटेगी, कौन बागी होगा। कौन किसके समर्थन में बैठेगा तो कौन केवल वोट काटने के लिए खड़ा होगा यह सभी भविष्य की बातें हैं लेकिन इन सब से दूर चुनावी चेहरे अभी से हार जीत की संभावना टटोलने में लग गए हैं। इसी कड़ी में बुधवार को एक ऑनलाइन सर्वे बड़ी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। यह सर्वे झुंझुनूं विधानसभा से संबंधित हैं और इसमें बारह प्रत्याशी हैं जबकि एक विकल्प नोटा का छोड़ा हुआ है। सर्वे के बारह प्रत्याशियों में ज्यादा लोग भाजपा के ही हैं। इससे जाहिर होता है यह सर्वे करवाने वालों में जरूर कोई सतारुढ़ दल का ही आदमी है। यह सर्वे को देखकर दिल तो बहलाया जा सकता है, खुशफहमी पाली जा सकती है लेकिन यह हकीकत से कोसों दूर हैं। दूर इसीलिए क्योंकि यह सर्वे ऑनलाइन है और इसमें एेसी कोई शर्त नहीं है कि इसमें केवल झुंझुनूं विधानसभा के ही मतदाता भाग ले सकते हैं। दूसरी बात यह है कि ऑनलाइन सर्वे हो या फेसबुक पेज के लाइक्स, यह काम भी आजकल प्रायोजित तरीके से खूब होने लगे हैं। पैस फेंककर लाइक्स पाने के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। इन दो बातों से इतर सबसे बड़ी बात यह है कि इस विधानसभा के सभी मतदाता क्या सोशल मीडिया से जुड़े हैं? क्या सभी के पास एंड्रोयड फोन हैं? खैर, यह बात सही है कि मोबाइल आज हर घर में दस्तक दे चुका है लेकिन सभी के पास आज भी नहीं है। हां आज का युवा जरूर मोबाइल फ्रेंडली है। देखते हैं सोशल मीडिया का सर्वे हकीकत में कितना खरा उतरता है। बहरहाल, यह चुनावी सर्वे सोशल मीडिया यूजर के लिए किसी खेल से कम नहीं हैं। हां कुछ अति उत्साही इसको हकीकत मानकर फूले नहीं समा रहे हैं। जैसे-जैसे समय बीतेगा कोई बड़ी बात नहीं इस तरह के सर्वे और विधानसभाओं में भी होने लगे। खैर सपने तो सपने ही होते हैं। यह हसीन भी होते हैं और डरावने भी।
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