Friday, October 19, 2018

अठारह से प्रेम है मुझे

बस यूं ही
अठारह शब्द दिमाग में आते ही कई खूबसूरत ख्याल आने लगते हैं। पहला ख्याल तो अठारह साल की कमसिन उम्र, जहां सतरंगी सपने और उडऩे की ख्वाहिश होती है। अठारह की उम्र जिसमें मत डालने का अधिकार मिलता है। अपना भी इस अठारह से गहरा नाता है। वैसे बचपन से जवानी की दहलीज पर कदम रखने तथा अठारहवें साल को जिए जीवन के लगभग ढाई दशक गुजर गए। अपना अठारहवां लगा था तब बारहवीं उत्तीर्ण कर कॉलेज में आ चुके थे। खैर, अभी भी इस अठारह से गहरा लगाव है और जिंदगी भर रहेगा। अब देखिए ना थोड़ी देर बाद 18 तारीख लग जाएगी। मामला रोचक इसीलिए भी है इस बार साल भी अठारह का चल रहा है। चूंकि 18 से लगाव है तो लगे हाथ इससे संबंधित बातों पर भी चर्चा हो जाए। महाभारत का युद्ध तो आपको याद ही होगा। इस महाभारत कथा में 18 (अठारह) संख्या का बड़ा महत्त्व है। महाभारत का युद्ध कुल अठारह दिन तक चला था। कौरवों (11 अक्षोहिनी) और पांडवों (9 अक्षोहिनी) की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी थी। इसी तरह महाभारत में कुल 18 पर्व हैं। इनके नाम हैं, आदि पर्व, सभा पर्व, वन पर्व, विराट पर्व, उद्योग पर्व, भीष्म पर्व, द्रोण पर्व, अश्वमेधिक पर्व, महाप्रस्थानिक पर्व, सौप्तिक पर्व, स्त्री पर्व, शांति पर्व, अनुशासन पर्व, मौसल पर्व, कर्ण पर्व, शल्य पर्व, स्वगारज़ेहण पर्व तथा आश्रम्वासिक पर्व। इससे थोड़ा आगे चलें तो गीता उपदेश में भी कुल 18 अध्याय ही हैं। इतना ही नहीं इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी 18 थे। इनके नाम ध्रतराष्ट्र, दुर्योधन, दुशासन, कर्ण, शकुनी, भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, अश्वस्थामा, कृतवमात, श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी एवं विदुर।
इसके साथ एक संयोग और जुड़ा है। महाभारत के युद्ध के पश्चात् कौरवों के तरफ से तीन और पांडवों के तरफ से 15 यानि कुल 18 योद्धा ही जीवित बचे थे। और सुनिए महाभारत को पुराणों के जितना सम्मान दिया जाता है और पुराणों की संख्या भी 18 है। श्रीमद् भागवत में कुल अठारह हजार श्लोक हैं। मां भवानी के भी अठारह ही स्वरूप हैं। काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कुष्मांडा, कात्यायनी, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गायत्री, पार्वती, श्रीराधा, सिद्धिदात्री और शैलपुत्री। इसी क्रम में श्रीविष्णु, शिव, ब्रह्मा, इंद्र, आदि देवताओं के अंश से प्रकट हुई भगवती दुर्गा अठारह भुजाओं से सुशोभित हैं। चर्चा और आगे बढ़ाए तो सिद्धियां भी अठारह ही हैं। अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, सिद्धि, ईशित्व या वाशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञात्व, दूरश्रवण, सृष्टि, परकायप्रवेशन, वाकसिद्धि, कल्पवृक्षत्व, संहराकरणसामथ्र्य, भावना और सर्वन्यायकत्व। इसके अलावा सांख्य दर्शन में पुरुष, प्रकृति, मन, पांच महाभूतों ( पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश) पांच ज्ञानेंद्रियां (श्रोत, त्वचा, चक्षु, नासिका एवं रसना) और पांच कमेंद्रियां( वाक्, पाणि, पाद, पायु एवं उपस्थ) इन अठारह तत्वों का विवरण मिलता है। छह वेदांग, चार वेद, मीमांसा, न्यायशास्त्र, पुराण, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, आयुर्वेद, धनुर्वेद और गंधर्ववेद अठारह तरह की विद्याएं हैं। इसी तरह एक संवत्सर, पांच ऋतुएं और बारह महीने ये मिलाकर काल के अठारह भेदों को प्रकट करते हैं।
थोड़ी और जानकारी जुटाई तो पता चला केरल में ओणम पर दुग्ध से 18 तरह के पकवान बनते हैं। शंकर-पार्वती की पूजा का पर्व गणगौर भी अठारह दिन चलता है। हिन्दू धर्म में 18 मुखी रूद्राक्ष भी होता है।.यह बेहद दुर्लभ होता है, और 18 वनस्पतियों मतलब औषधियों का प्रतीक माना गया है। वैसे तो साल में बारह बार 18 तारीख आती है लेकिन 18 अक्टूबर की बात ही कुछ और है। धर्म और दर्शन की बाद नजर इतिहास पर डाली जाए तो ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन की स्थापना 18 अक्टूबर 1922 को हुई थी। इसी दिन 1972 में भारत के पहले बहुद्देशीय हेलिकॉप्टर एस ए 315 का बैंगलोर में परीक्षण किया। प्रसिद्ध अभिनेता ओमपुरी का जन्म भी इसी दिन हुआ था। 18 अक्टूबर का इतिहास लंबा है, चर्चा चले तो कई पृष्ठ भर जाएं। अठारह साल के साथ साथ गौर करने की बात यह है कि हमको पत्रकारिता में भी अठारह साल पूरे हो चुके हैं। हां इस पत्रकारिता के कारण गांव छूटा। उसको छोड़े हुए भी 18 साल हो गए। अभी थोड़ी देर पहले टीवी ऑन किया तो सुहाग फिल्म का गाना चल रहा था। अमिताभ व रेखा मस्ती में गा रहे थे। गाने के बोल थे। अठरहा बरस की तू होने को आई रे...वाकई जवां होते दिलों की खूबसूरत नोकझोंक है इस गाने में हैं। अब अठारह की प्रशंसा में इतने कशीदे गढ़ ही दिए हैं तो इतना बता दूं कि चार अठारह के संंयोग के साथ पांचवां अठारह और जोड़ दीजिए। यह पांच अठारह का संयोग जिंदगी में पहली बार आया है, इसलिए एेतिहासिक है, अगले साल से तो फिर एक ही अठारह रहना है मरते दम तक। तो अब रहस्य से पर्दा उठा देता हूं। 18 अक्टूबर अवतरण दिवस है। यही वह दिन था जब मेरा जन्म हुआ। बोले तो 18 अक्टूबर 1976...और इसी के साथ जिंदगी के 42 बसंत भी पूरे किए।

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