Wednesday, December 26, 2018

पहले हारे लेकिन इस बार जीतने में हुए कामयाब

श्रीगंगानगर. चुनावी रण में हार-जीत होती रहती है। जो हारता है वह कभी जीत भी जाता है। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले में दोनों ही दलों में ऐसे प्रत्याशी हैं, जो पिछला चुनाव हारे लेकिन इस बार जीतने में सफल रहे। रायसिंहनगर से पिछला चुनाव हारने वाले भाजपा के बलवीर लूथरा इस बार चुनाव जीत गए। वहीं, सादुलशहर से कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश जांगिड़ भी जीतने में सफल रहे। वे पिछला चुनाव हार गए थे। इसी तरह, 2008 के चुनाव में कांग्रेस की टिकट से श्रीगंगानगर से चुनाव लडऩे वाले राजकुमार गौड़ इस बार निर्दलीय लड़े और जीतने में कामयाब हुए। हनुमानगढ़ जिले की संगरिया विधानसभा से भाजपा के टिकट पर जीते गुरदीपसिंह शाहपीनी भी दो बार बतौर निर्दलीय भाग्य आजमा चुके हैं लेकिन सफलता इस बार हाथ लगी। इसी तरह, भादरा से सीपीएम प्रत्याशी बलवान पूनिया पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे लेकिन इस बार जीत का सेहरा उनके सिर बंधा। धर्मेन्द्र मोची वैसे तो दूसरी बार विधायक बने हैं लेकिन पीलीबंगा से पहली बार बने हैं। पिछले दो चुनाव वे यहां से हार गए थे।
पहली बार ही चुनाव लड़ा और जीत गए
हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर में दो ऐसे चेहरे हैं, जिन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा और जीतने में सफल रहे। अनूपगढ़ से संतोष बावरी पहली बार भाजपा की टिकट से खड़ी हुई और जीतने में सफल हो गई। इसी तरह, हनुमानगढ़ जिले की नोहर विधानसभा से कांग्रेस के अमित चाचाण पहली बार खड़े हुए और जीत गए।
लगातार दूसरी बार हारे
श्रीगंगानगर में लगातार दूसरी बार हारने वालों में सूरतगढ़ से बसपा के डूंगरराम गेदर हैं। पिछले चुनाव में वह दूसरे स्थान पर रहे जबकि इस बार वे तीसरे स्थान पर खिसक गए। रायसिंहनगर से सोहन नायक ने पिछला चुनाव कांग्रेस की टिकट पर लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे थे। वे इस बार निर्दलीय मैदान में थे, लेकिन चुनाव हार गए। हालांकि, नायक जमानत बचाने में सफल रहे। अनूपगढ़ विधानसभा से 2008 में पहली बार विधायक बने माकपा के पवन दुग्गल भी लगातार दूसरा चुनाव हार गए। श्रीगंगानगर से पिछला चुनाव भाजपा की टिकट पर लडऩे वाले राधेश्याम गंगानगर इस बार निर्दलीय मैदान में थे। उनको भी लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा। हनुमानगढ़ जिले की संगरिया सीट से कांग्रेस प्रत्याशी शबनम गोदारा लगातार दूसरी बार हार गईं। पीलीबंगा से कांग्रेस प्रत्याशी विनोद कुमार भी लगातार दूसरी बार चुनाव हारे हैं।
यह पहले भी जीते
दोनों जिले के 11 विधायकों में ऐसे भी हैं जो पहले भी जीत चुके हैं। सूरतगढ़ से भाजपा की टिकट पर जीते रामप्रताप कासनिया पीलीबंगा से विधायक रह चुके हैं। 2008 में परिसीमन के बाद पीलीबंगा की सीट सुरक्षित हो गई। इस कारण उन्होंने इस बार सूरतगढ़ से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। श्रीकरणपुर से जीते कांग्रेस के गुरमीत कुन्नर इससे पहले 1998 व 2008 में भी जीत चुके हैं। वे तीसरी बार विधायक बने हैं। पीलीबंगा से जीते धर्मेन्द्र मोची दूसरी बार विधायक बने हैं। वे 2003 में टिब्बी से विधायक बने थे लेकिन बाद में परिसीमन के कारण टिब्बी विधानसभा खत्म हो गई। मोची को लगातार दो चुनाव में हार के बाद तीसरे चुनाव में सफलता मिली है। इसी तरह हनुमानगढ़ से जीते कांग्रेस के विनोद कुमार ने चौथी बार जीत दर्ज की है।
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राजस्थान पत्रिका श्रीगंगानगर संस्करण के 13 दिसंबर 18 के अंक में प्रकाशित।

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