Wednesday, December 26, 2018

हार गए पर भर गए सरकारी खजाना

श्रीगंगानगर. विधानसभा चुनाव मैदान में जमानत जब्त करवाने वाले उम्मीदवारों ने सरकारी खजाना भरने का काम जरूर किया है। श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में जमानत जब्त करवाकर हारने वालों के कारण सरकारी खजाने में लाखों रुपए जमा हुए हैं। दरअसल, सभी प्रत्याशियों को चुनाव लडऩे के लिए जमानत के रूप में चुनाव आयोग के पास एक निश्चित रकम जमा करनी होती है। जब प्रत्याशी निश्चित प्रतिशत मत हासिल नहीं कर पाता, तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है यानी यह राशि आयोग की हो जाती है। श्रीगंगानगर जिले में 69 तो हनुमानगढ़ जिले में 42 प्रत्याशियों की जमानत राशि जब्त हुई है। सामान्य व्यक्ति के लिए जमानत राशि दस हजार है तो एससी/ एसटी के उम्मीदवारों के लिए पांच हजार रुपए होती है। लोकसभा चुनाव में सामान्य के लिए 25 हजार तो एससी/ एसटी के लिए 12 हजार पांच सौ रुपए है। 
इस तरह जब्त होती है जमानत
ऐसे हारे हुए प्रत्याशी की जमानत जब्त हो जाती है, जो अपने निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल विधि सम्मत मतों की संख्या के छठे भाग से ज्यादा मत प्राप्त नहीं कर पाता। उदाहरण के लिए अगर किसी विधानसभा सीट पर यदि एक लाख वोटिंग हुई तो जमानत बचाने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को छठे भाग से अधिक यानि करीब 16 हजार 666 वोटों से अधिक वोट प्राप्त करने होंगे। इससे कम पाने वालों की जमानत जब्त हो जाती है।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ संस्करण में 14 दिसंबर 18 के अंक में प्रकाशित।

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