Thursday, July 26, 2018

चंडीगढ़ यात्रा-5

संस्मरण
भतीजे व भानजे के साथ कार में बैठते ही तय हो गया था पहले सुखना झील, फिर रॉक गार्डन तथा बाद में रोज गार्डन देखा जाएगा। घर से निकले तब बादल छंट चुके थे और तीखी धूप निकली हुई थी। चंडीगढ़ को नजदीक से देखने की उत्सुकता बढती जा रही थी। वैसे सन 2000 में भोपाल में पत्रकारिता के प्रशिक्षण के बाद मुझे चंडीगढ़ भेजा जा रहा था लेकिन तब मैंने मना कर दिया था। आखिरकार 18 साल बाद चंडीगढ़ जाने का मौका आ ही गया। चंडीगढ़ इतना खूबसूरत शहर है कि इसको लेकर खूब गीत भी लिखे गए हैं। बताते हैं पंजाबी में चंडीगढ़ में खूब गाने हैं। वैसे पंजाब का शायद ही कोई शहर होगा जिस पर गीत न लिखे गए हों। गानों की बात चली तो सबसे पहले एक हरियाणवी गीत याद आता है। तेरी कोठी मैं बणवा दूं, चंडीगढ़ शहर में छोरी... इसी गीत के बाद दूसरा गीत आया, बदली-बदली लागै, इब के खावण लागी, तेरे चढग्या रंग कसूता के चंडीगढ़ जावण लागी.. इन दोनों गीतों ने जबरदस्त धूप मचा रखी है। शायद ही कोई शादी समारोह होगा जहां डीजे पर इन गीतों को न सुना जाता हो। एक पंजाबी गीत भी इन दिनों खूब प्रचलन में हैं। इसमें भी चंडीगढ़ का जिक्र होता है। गाने के बोल हैं तैनू काला चश्मा जचता एे..। खैर, अब बात थोड़ी चंडीगढ़ शहर की कर ली जाए। वास्तुकला व डिजाइन के लिए चंडीगढ़ को समूची दुनिया में जाना जाता है। चंडीगढ़ योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया भारत का पहला शहर है। यह भारत का सबसे आधुनिक व सफाई वाला शहर माना जाता है। अपनी सुंदरता व हरियाला के कारण चड़ीगढ़ को सिटी ब्यूटीफल भी कहा जाता है। चंडीगढ़ केन्द्र शासित प्रदेश भी है तथा पंजाब व हरियाणा की राजधानी है। इस कारण यहां नौकरीपेशा लोग खूब रहते हैं। यही कारण है कि चंडीगढ़ को पेंशनधारियों का घर या पेंशनभोगियों का स्वर्ग भी कहा जाता है। चंडीगढ़ के बारे में मैंने जितनी भी जानकारी जुटाई वह अपने आप में रोचक व रुचिकर लगी। मसलन, चंडीगढ़ को प्रसिद्ध फ्रांसीसी वास्तुकार ली कोर्बुजिए ने डिजाइन किया था। कोर्बुजिए ने चंडीगढ़ की अवधारणा मानव शहीर की तरह की है। इसमें सेक्टर कैपिटल काम्प्लेक्स एक हैड की तरह है तो सिटी सेंटर, सेक्टर 17 दिल। फेफड़ों के लिए खुले स्थान और हरियाली के लिए 7v तो मस्तिष्क के लिए शैक्षणिक संस्थानों के लिए जगह दी।
क्रमश: .....

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