Thursday, July 26, 2018

चंडीगढ़ यात्रा- 6

संस्मरण
हम गूगल रूट के माध्यम से सुखना की तरफ बढ़े जा रहे थे। मोबाइल कार में पीछे बैठे सिद्धार्थ के पास था। वह बताता जा रहा था , उसी हिसाब से कुलदीप कार चलाता जा रहा था। एक घूमचक्कर पर कुलदीप सीधे जाने लगा तो सिद्धार्थ अचानक से चिल्लाया अरे इधर नहीं लेफ्ट चलो। एेसे में कुलदीप ने गाड़ी मोड़ दी और पीछे आ रही एक कार टकराते-टकराते बची। इसके बाद वह कार वाला हमें आेवरटेक करके आगे बढ़ा अपनी कार हमारी कार के आगे आड़ी लगा दी। हमने भी कार रोक दी। देखा तो वह पुलिस का जवान था। उसके चेहरे से गुस्सा साफ जाहिर हो रहा था। चूंकि हम गलती में थी, इसीलिए चुपचाप बैठे थे। वह तमतमाता हुआ आया और बोला, इसको भींत में दे मार....चलाणी नहीं आती क्या? इतना कहकर आंखें तरेरता हुआ वह अपनी कार की तरफ चला गया। हम तीनों की फिर हंसी फूट पड़ी। बार- बार भींत में दे मार का डॉयलोग कानों में गूंज रहा था। अभी सुखना झील के आसपास थे। अचानक एक सजा संवरा ऊंट दिखाई दिया। मैंने कार में बैठे-बैठे ही मैंने उसे क्लिक कर लिया। वैसे चंडीगढ़ जैसे आधुनिक शहर में रेगिस्तान के जहाज का मिलना किसी अजूबे से कम नहीं था। वैसे मैंने ऊंट को जगन्नाथ पुरी में भी देखा था, जहां समुद्र के किनारे पर्यटक ऊंट की सवारी करते हैं। जिस अंदाज में ऊंट को सजाया गया था, उससे साफ जाहिर था कि वह यहां आने वालों पर्यटकों के लिए ही किया गया था। खैर, मैं चंडीगढ़ के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी करने में जुटा था। दरअसल, मोहाली पंजाब का हिस्सा है और पंचकूला हरियाणा का लेकिन दोनों चंडीगढ़ में ही मिल चुके हैं। इसलिए कब मोहाली शुरू होता है और कब चंडीगढ़ आसानी से पता भी नहीं चल पाता है। इस कारण इसको ट्राइसिटी भी कहा जाता है। एक खास बात और जो चंडीगढ़ को बाकी शहरों से अलग करती है। यहां किसी भी गोलचक्कर या पार्क में आपको किसी महापुरुष या नेता की मूर्ति दिखाई नहीं देगी। इतना ही नहीं होर्डिंग्स व बैनर आदि भी न के बराबर हैं। आधुनिक शहर होने के बावजूद इस शहर के साथ एक अंधविश्वास भी जुड़ा हुआ है। आपको चंडीगढ़ व पंचकूलों के सेक्टरों में सेक्टर 13 नहीं मिलेगा। माना जाता है कि तेरह का अंक शुभ नहीं होता है। वैसे तेरह के अंक को लेकर पांच साल मैंने एक बड़ा सा लेख भी लिखा था, खैर, कथित अपशकुनी तेरह में अब चंडीगढ़ का नाम भी जुड़ गया है। चंडीगढ़ का नामकरण एक चंडी मंदिर से हुआ है। इतना ही नहीं चंडीगढ़ के साथ एक उपलब्धि यह भी जुड़ी है। इसको भारत का प्रथम स्मोकिंग फ्री शहर घोषित किया गया था। यह घोषणा 15 जुलाई 2007 में हुई थी, हालांकि अब हालात एेसे नहीं हैं। मैं अभी चंडीगढ़ में खोया हुआ था कि भानजे ने अचानक कार को ब्रेक लगाए। शायद हमारा पहला स्थान मतलब सुखना झील आ चुकी थी।
क्रमश: .....

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