Thursday, July 26, 2018

मगरमच्छ समझा वह कछुआ निकला


श्रीगंगानगर. शहर की तीन पुली पर अक्सर बच्चे नहाते रहते हैं, लेकिन गुरुवार को नजारा बदला हुआ था। नहर के चारों तरफ तमाशबीन खड़े थे तथा तीन युवक नहर के पानी के अंदर कुछ तलाश रहे थे। वहां मौजूद लोग एक दूसरे सेे पूछ रहे थे क्या हुआ? अंदर क्या है? लेकिन जितने मुंह उतनी ही बात। कोई मगरमच्छ बता रहा तो कोई बड़ी मछली, लेकिन पानी के अंदर क्या है? यह किसी को पता नहीं चल रहा था। कुछ तो ऐसे भी जिन्होंने इस मामले को मजाक समझकर सिरे से ही खारिज कर दिया। इस बीच पानी के नीचे इस अनजाने जीव को पकडऩे की कवायद जारी थी। इस मशक्कत के दौरान एक युवक पैर का अंगूठा जख्मी हो गया। पानी के अंदर जो जीव था उसने उसे काट खाया। इसके बाद एक दूसरे युवक के दोनों हाथ थी जख्मी हो गए। दोनों हाथों से खून बहने लगा, लेकिन वो पानी के अंदर डटे रहे। बाहर खड़े लोगों ने कपड़े व बोरी आदि उनको दिए ताकि युवक अपना बचाव कर सके। आखिरकार अढा़ई घंटे की मशक्कत के बाद यह जीव बाहर निकला तो लोगों की सांस में सांस आई। यह काफी बड़ा व वजनी कछुआ था। पकडऩे के दौरान अपने बचाव के प्रयास में उसने युवकों को काट खाया था। उसके नाखून भी काफी बड़े थे। संभवत: उसके नाखून भी युवकों को लगे हैं। कछुआ बाहर निकलने के बाद किसी ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंच वन विभाग को सूचित किया। बाद में उसे शिवपुर हैड में छोड़ दिया बताया।
फोटो लेने की होड़
पांच छह जनों की मदद से जैसे ही कछुए को बाहर निकाला गया, उसको देखने काफी लोग जमा हो गए। मोबाइल से कछुवे को कैमरे में कैद करने की तो जैसे होड़ ही लग गई। बाद में कछुए को नहर से थोड़ा दूर सड़क पर ले जा गया। कछुए को बाहर निकालने वाले श्यामलाल ने बताया कि तीन पुली में बच्चे रोज ही नहाते हैं। काफी दिन से पानी के अंदर कुछ है, यह डर उनमें बैठा हुआ था, इसलिए आज इसको निकालने की सोची। विदित रहे कि पहले तीन पुली में मगरमच्छ होने की सूचना ही थी, लेकिन बाद में यह सूचना सही नहीं निकली।
कछुए के बारे में रोचक तथ्य
-भारत के पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु का एक रूप कछुआ भी है। भगवान विष्णु ने कछुए का रूप धारण कर क्षीरसागर के समुद्र मंथन के समय मंदरमंद्रांचल पर्वत को अपने कवच पर थामा था। धार्मिक रूप से कछुआ सौभाग्यशाली माना जाता है। इसलिए कछुए की पूजा भी होती है। ज्योतिष के अनुसार कछुए का चित्र या कछुआ रखने से कई सारी परेशानियां ठीक हो जाती हैं और लाभ हो सकते हैं।
- इनमें नर और मादा की पहचान करना मुश्किल होता है। नर कछुए मादा से थोड़े लंबे होते हैं और इनकी पूंछ भी मादा से लंबी होती है। खास बात यह है कि कछुवे जहरीले नहीं होते। इनके मुंह में दांत नहीं होते।ैं।
-कछुओं के बच्चे अंडों से होते हैं। एक मादा कछुआ एक बार में 30 तक अंडे देती है। इन अंडों से 90 से 120 दिनों में बच्चे बाहर निकलते हैं।
-कुछ कछुओं की उम्र 150 साल या उससे अधिक भी होती है। 'हैरियट' नाम के एक कछुए की मौत 2006 में ऑस्ट्रेलिया के एक चिडिय़ाघर में हुई थी। बताया गया है जब उसकी मौत हुई उस समय उसकी उम्र करीब 175 साल थी। अभी धरती पर सबसे अधिक उम्र का प्राणी 'जोनाथन' नाम का कछुआ है। आज इसकी उम्र 187 साल है और अभी भी यह बिल्कुल स्वस्थ है। इसकी लंबाई 45 इंच और ऊंचाई दो फीट है।
-कछुए का कवच इनके शरीर का ही हिस्सा होता है। यह इसकी पसलियों से विकसित होता है। बिना मारे कछुओं को उसके कवच से अलग नहीं किया जा सकता। इसके कवच को बंदूक की गोली, मगरमच्छ और कुत्ते भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते। यह 60 प्रकार की हड्डियों से मिलकर बना होता है। कछुए का कवच तोडऩे के लिए कछुए के वजन से 200 गुना अधिक वजन और बहुत अधिक प्रेशर चाहिए।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 06 जुलाई 18 के अंक में  प्रकाशित

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