Friday, August 31, 2018

इक बंजारा गाए-42


सडक़ में भेद
यूआईटी के हाल ही करवाए गए कई कामों पर अंगुली उठी है। चाहे वो सूरतगढ़ मार्ग पर सर्विस रोड का मामला हो या फिर सदर थाने के पास बीच सडक़ में चौक बनाने की बात हो। कुछ इसी तरह की चर्चाएं शक्ति मार्ग पर बनी नई रोड को लेकर भी हो रही हैं। एक तो सडक़ बनाने का काम बहुत देरी से हुआ। दूसरा यह है कि इस सडक़ को कहीं पर तो वाल-टू-वाल बना दिया गया तो कहीं दोनों साइड में एक-एक, दो-दो फीट जगह छोड़ दी गई है। सडक़ बनाने में किस तरह के मापदंड अपनाए गए यह लोगों की समझ से बाहर हो रहा है।
सडक़ की लड़ाई
परिषद व यूआईटी प्रमुखों के बीच खुद को इक्कीस साबित करने की अंदरखाने की होड़ तो कभी की चल रही है। कभी कभार यह बाहर भी आ जाती है। बात यहां तक पहुंच जाती है तो दोनों एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से भी नहीं चूकते। बड़ी और गंभीर बात तो यह है कि दोनों ही एक दूसरे पर शहर का विकास न करवाने का आरोप चस्पा करते हैं। वैसे शहर के हालात देखते हुए दोनों की बातों में ही दम नजर आता है। इस अहम की लड़ाई में जनता बेचारी उसी तरह पिस रही है, जैसे अनाज के साथ अक्सर घुन पिस जाता है। देखते हैं इस नूराकुश्ती का अंजाम क्या होता है।
कॉलेज का सपना
प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेज भले ही शुरू हो गए हों लेकिन श्रीगंगानगर में यह मामला अभी लटका हुआ ही है। इतने लंबे इंतजार के बाद अब लोग न केवल सवाल उठाने लगे हैं बल्कि सोशल मीडिया पर भी अपनी पीड़ा व्यक्त करने लगे हैं। कोई दानदाता को कठघरे में खड़ा करता है तो कोई सरकार को। वैसे सोशल मीडिया में श्रीगंगानगर मेडिकल कॉलेज के नाम एक पेज भी बन गया है। खैर, श्रीगंगानगर में मेडिकल कॉलेज भले ही अस्तित्व में न आए लेकिन सोशल मीडिया का यह पेज, दिल बहलाने को गालिब ख्याल अच्छा है, वाले शेर को चरितार्थ जरूर कर रहा है।
चुनाव की तैयारी
विधानसभा चुनाव के अब ज्यादा दिन नहीं बचे हैं। चुनाव लडऩे के इच्छुकों में कोई समर्थकों से चर्चा कर रणनीति बना रहा है तो कोई कम समय का बहाना बनाकर सहानुभूति की लहर पर सवार होना चाहता है। विधायकी का सपना पालने वाले एक नेताजी का हाल भी इन दिनों ऐसा ही है। आजकल उनके कार्यालय में भीड़ भी जुटने लगी हैं। मंत्रणाएं होती हैं। कोई काम की आस में जाता है तो नेताजी मना नहीं कर रहे हैं, बस अफसोस जता रहे हैं कि कार्यकाल छोटा रहा, वरना पता नहीं क्या-क्या करता। खैर, जो किया जैसा किया वह भी किसी से छिपा नहीं है।
दुकानें बंद
कहते हैं खूंटा मजबूत हो तो बछड़ा उछल सकता है। मतलब पीठ पर हाथ होता है तो कोई कुछ भी कर सकता है। सट्टे की दुकान चलाने वालों का हाल भी कुछ ऐसा ही है। इनका खूंटा इतना मजबूत था कि सब कुछ बेरोकेटोक खुलेआम चलता था। लेकिन पिछले एक सप्ताह से खूंटा कमजोर हुआ तो दुकानें के शटर भी गिर गए। खाकी में बदलाव के बाद सट्टे के खूंटे को हवालात की हवा खिलाई गई तो कइयों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। लोगों की दिलचस्पी अब इसमें है कि खूंटा उखाड़ा ही जाएगा या उखाडऩे की धमकी से ही काम चलाया जाएगा।
हवाई सेवा
श्रीगंगानगर से जयपुर के बीच पिछले माह शुरू हुई हवाई सेवा पहले दिन से मजाक बनी हुई है। शुरुआत में इस सुरक्षा व सुविधाओं को लेकर खूब जुमले बने। किसी को और न सूझा तो विमान के एक इंजन पर ही चुटकी ले ली। मंगलवार को विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद तो चुटकुलों की बाढ़ सी आई हुई है। यहां तक एक एप के माध्यम से पंजाबी व मारवाड़ी में वीडियो तक बन गए हैं, जिसमें हवाई सेवा के बजाय बस में जाने का जिक्र है। दीवार व पेड़ के तने पर अटके विमान के फोटो के साथ चुटकुले सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं।

राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 09 अगस्त 18 के अंक में प्रकाशित
 

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