Friday, August 31, 2018

कमजोर प्रशासन!

टिप्पणी
छात्रसंघ चुनाव के मद्देनजर छात्र नेताओं के बीच चल रहे होर्डिंग्स वार के कारण शहर के चौक-चौराहे बदरंग हो चुके हैं। बड़ी बात यह है शहर को बदरंग होने से बचाने की जिनकी जिम्मेदारी है, वो न केवल चुप्पी साधे बैठे हैं बल्कि आंखें भी मंंूद रखी हैं। इससे भी गंभीर बात यह है कि जिला स्थायी लोक अदालत ने दो दिन पहले ही शहर के सौन्दर्य को बिगाड़ रहे अवैध होर्डिंग्स हटाने के संबंध में जो आदेश जारी किया था, उस पर भी कोई हलचल नहीं हुई। इससे साफ जाहिर है कि श्रीगंगानगर नगर परिषद व यूआईटी अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों की इस काम में कतई रुचि नहीं है। नियम विरुद्ध काम करने वालों के खिलाफ चुप्पी साध लेना एक तरह की प्रशासनिक कमजोरी है। यह एक तरह की खुली छूट है, जो कानून तोडऩे वालों का संरक्षण करती है, जबकि प्रदेश में दूसरे स्थानों पर शहर को बदरंग करने वालों पर बकायदा कार्रवाई हो रही है, वहां के जनप्रतिनिधि भी शहर को बदरंग होने से बचाने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन श्रीगंगानगर में तो हालात कुएं में भांग जैसे हैं। जयपुर का ही उदाहरण है। वहां शहर को बदंरग करने के आरोप में निगम प्रशासन ने 16 छात्र नेताओं पर न केवल एफआईआर दर्ज करवाई बल्कि कुलपति से मुलाकात कर इन छात्र नेताओं को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करने की भी मांग की। इतना ही नहीं है जयपुर के महापौर ने उच्च शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर लिंगदोह कमेटी की पालना न करने वाले छात्र नेताओं को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग की है। साथ ही शहर को बदरंग होने से बचाने का आग्रह भी किया है। इधर, श्रीगंगानगर में नगर परिषद व यूआईटी के अधिकारी तो हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। नगर परिषद व यूआईटी के मुखियाओं का ‘गूंगापन’ भी इसकी बड़ी वजह है। शहर के इस हालात पर उनको तरस क्यों नहीं आता? आए भी कैसे ? चौक चौराहों पर खुद के फोटो लगे पोस्टर/ बैनर लगवाने के मामले में ये मुखिया भी पीछे नहीं रहते। कमोबेश ऐसे ही हालात जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। खैर, कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जब तक कठोर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक शहर इसी तरह बदरंग होता रहेगा। यह प्रशासिनक कमजोरी का ही नतीजा है कि शहर के चौक-चौराहों को बपौती समझकर बदरंग करने वालों के हौसले बुलंद हैं। साल भर वो अपनी मनमर्जी से शहर को बदरंग करते रहते हैं लेकिन जिम्मेदारों ने कभी कार्रवाई नहीं की। उम्मीद की जानी चाहिए प्रशासन व जनप्रतिनिधि इस बदरंगता को दूर करने के लिए कारगर कदम उठाएंगे। साथ ही कड़ी कार्रवाई से ही कानून तोडऩे वालों के मन में भय होगा, अन्यथा नोटिस रूपी गीदड़ भभकियों से बात नहीं बनने वाली।
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण में 26 अगस्त 18 के अंक में प्रकाशित 

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