Friday, August 31, 2018

पतली गली

लघुकथा 
अरे बाबोसा, पड़ोस के गांव में लड़का फौज में है, उसके टीके में पांच लाख और कार आई है। अपना बेटा तो अफसर है..अफसर, सोच लो कितने की डिमांड की जाए। तभी दूसरे युवक ने बात काटते हुए कहा अरे नहीं, नहीं काकोसा हुकुम काम तो अपनी कमाई से चलेगा। टीका लेने से कौन सी जिंदगी कट जाएगी, इसलिए अपने को दहेज बिलकुल भी नहीं लेना। बिना दहेज की शादी से समाज में अच्छा संदेश भी जाएगा। ठाकुर साहब असमंजस में थे कि किस की बात पर यकीन किया जाए। माथे की त्योरियां चढाते हुए बोले, अपने बबलू का रिश्ता फाइनल हो चुका है। दहेज में पांच लाख टीका और पांच लाख की गाड़ी की बात भी तय हो चुकी है। अब फैसला पलट नहीं सकते। कोई रास्ता बताओ कि काम भी हो जाए और समाज में संदेश भी चला जाए। अचानक तीसरा युवक उठा और ठाकुर साहब के कान में कुछ फुसफुसाया। ठाकुर साहब के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई। आखिरकार शादी का दिन आ गया। बारात लड़की वालों के यहां पहुंची। सहेले पर लड़की के पिता ने 11 लाख की कार की चाबी सौंप दी। साथ ही थाली में पांच लाख रुपए भी दिए, लेकिन ठाकुर साहब ने पैसे यह कहते हुए वापस कर.दिए कि टीका लेना हमारी शान के खिलाफ है। हम दहेज लेने के पक्षधर नहीं। खैर, अगले दिन अखबारों में इसी शादी के चर्चे थे। शीर्षक था दूल्हे ने टीके के पांच लाख लौटाकर समाज में अनुकरणीय उदाहरण पेश किया। और इधर ठाकुर साहब कार को गिफ्ट बताकर मूंछ को ताव दे रहे थे।

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