Friday, August 31, 2018

सेहत से खिलवाड़

प्रसंगवश 
श्रीगंगानगर के राजकीय जिला चिकित्सालय में 'भामाशाह स्वास्थ्य योजना' में अनियमितता का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग में प्रदेश स्तर तक हड़कंप मचा हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने इसकी जांच भी शुरू कर दी है। यह मामला पिछले डेढ़ साल में 'भामाशाह स्वास्थ्य योजना' के तहत राजकीय जिला चिकित्सालय में आने वाले मरीजों से संबंधित है। अभी तक की जांच में सामने आया है कि जिला अस्पताल में भर्ती तो 42 सौ मरीज हुए, लेकिन 28 सौ रोगियों को प्राइवेट अस्पताल या नर्सिंग होम भेज दिया गया। इन मरीजों को यह कहते हुए निजी अस्पतालों में भेजा गया कि आपको ऑपरेशन के लिए तीन माह का इंतजार करना पड़ेगा। इस प्रकरण में अभी पांच चिकित्सकों की भूमिका संदिग्ध मानी गई है। अब मरीजों से जाकर पूछा जाएगा कि उनको प्राइवेट अस्पतालों में भेजने के पीछे इन चिकित्सकों की मंशा क्या थी?
खैर, बात अकेली भामाशाह स्वास्थ्य योजना में वेटिंग की ही नहीं है। वेटिंग का यह 'खेल' अधिकतर जांच व ऑपरेशन में बदस्तूर चल रहा है। दो-दो, तीन-तीन माह की आगामी तारीख देकर मरीजों को टरकाया जा रहा है। वेटिंग लंबी होने की प्रमुख वजह स्टाफ की कमी या मरीजों की अधिकता को बनाया जाता है, लेकिन सच कुछ और ही है। वेटिंग का यह 'खेल दरअसल, कमीशन से जुड़ा है। यह तो सभी जानते हैं कि ऑपरेशन या जांच करवाकर तत्काल राहत पाने की उम्मीद रखने वाला मरीज किसी भी सूरत में लंबा इंतजार नहीं कर सकता। एेसे में वह प्राइवेट अस्पतालों की ओर रुख करता है। गंभीर बात यह है कि वेटिंग का सुनियोजित 'खेल' प्रदेश के कमोबेश हर सरकारी अस्पताल में देखने को मिल जाएगा। सस्ते व सहज-सुलभ इलाज की उम्मीद में सरकारी अस्पताल आने वाले मरीजों के साथ यह धोखा नहीं तो और क्या है? भामाशाह स्वास्थ्य योजना के तहत मरीजों को मुफ्त इलाज का ढिंढेरा पीटने वाली सरकार को यह सब नजर क्यों नहीं आता? ऐसे हालात कोरे भामाशाह कार्ड धारकों के लिए ही बन रहे हों ऐसा नहीं है। सरकारी अस्पतलों में मरीज इसीलिए जाने से घबराता है कि उसका ऑपरेशन हुआ तो समय पर नंबर आ पाएगा या नहीं। समय-समय पर मरीजों के परिजनों और डॉक्टरों के बीच कहासुनी व मारपीट की घटनाओं का बड़ा कारण मरीजों की अनदेखी के रूप में भी सामने आता है। सरकार को को तत्काल इस वेटिंग रूपी 'खेल' को बंद कर जिम्मेदारों पर नकेल कसनी चाहिए। वरना कमीशनखोरी की दीमक सरकार की 'भामाशाह' जैसी अहम योजना को दिन-ब-दिन खोखली करती जाएगी।

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राजस्थान पत्रिका के 11 अगस्त 18 को राजस्थान के तमाम संस्करणों में संपादकीय पेज पर प्रकाशित

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