Friday, August 31, 2018

सरहद की चौकसी में शामिल हैं ‘पाकिस्तानी’ श्वान

हिन्दुमलकोट क्षेत्र में है श्वानों की जोड़ी
श्रीगंगानगर. इंसानी फितरत भले ही सरहदों के भेद को माने लेकिन जानवरों के लिए सरहद की पाबंदी कोई मायने नहीं रखती है। इतना ही नहीं जानवर इंसानों की तरह भेदभाव या दुश्मनी की बातें भी नहीं जानते। तभी तो दो ‘पाकिस्तानी’ श्वान न केवल वफादारी से अपनी ड्यूटी कर रहे हैं बल्कि सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ सरहद पर मुस्तैदी से चौकन्ना भी रहते हैं। इन ‘पाकिस्तानी’ श्वानों की सरंचना सामान्य श्वानों के मुकाबले कमजोर है फिर भी सामान्य श्वान इनके आगे दुम दबाकर भागने पर मजबूर हो जाते हैं।
श्रीगंगानगर से लगी भारत पाक अंतराष्ट्रीय सीमा पर आबाद हिन्दुमलकोट में दो ‘पाकिस्तानी’ श्वान सीमा सुरक्षा बल के जवानों से बेहद घुलमिल गए हैं।इन श्वानों की कहानी भी बड़ी रोचक है। सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने बताया कि कुछ समय पहले पाकिस्तान से तारबंदी पार कर एक मादा श्वान भारतीय सीमा में प्रवेश कर गई। उस वक्त मादा गर्भवती थी और यहां आने के बाद उसने तीन पिल्लों को जन्म दिया। पिल्लों के जन्म देने के बाद मादा श्वान की मौत हो गई। इसके बाद सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने इन पिल्लों को पाला। बाद में एक पिल्ले की भी मौत हो गई। शेष रहे दो पिल्ले अब जवान हो चुके हैं। जवानों ने बताया कि यह काले रंग के दोनों श्वान बेहद खुंखार हैं। रात भर चौकसी में न केवल उनके साथ देते हैं बल्कि हल्की सी आहट पर भी सचेत भी कर देते हैं। दोनों श्वान उनकी रात को जंगली जीव-जंतुओं से भी रक्षा करते हैं।
सांपों से भी करते हैं रक्षा
अब दोनों श्वान साल भर के हो गए हैं। देशी नस्ल के यह श्वान नाटे कद के हैं। लेकिन तेज तर्रार इतने कि सीमा चौकी क्षेत्र में किसी जानवर के घुसने पर उसे बाहर निकाल कर ही दम लेते हैं। इन दिनों इनका ठिकाना हिन्दुमलकोट का पुराना स्टेशन है जहां स्टेशन के पुराने भवन के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। वहां तैनात सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने बताया कि दोनों श्वान रात-भर इधर-उधर घूमते हुए पहरेदारी करते हैं। कई बार तो इन्होंने रात के समय जहरीले सांपों तक का मुकाबला कर जवानों को सचेत किया है। घूमते हुए यह तारबंदी तक भी चले जाते हैं। लेकिन उसे पार करने की बजाय वापस आ जाते हैं।
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राजस्थान पत्रिका श्रीगंगानगर संस्करण के 22 अगस्त 18 के अंक में प्रकाशित

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