Saturday, June 30, 2018

संगीत, शायरी और सरहद-2

और गांव का वृतांत तो बेहद संवेदनाओं से भरा है। लूणा जाते समय हसन साहब रास्ते में एक टीले पर रेत में पलटी खाने लगे और रोने लगे। मानों अपनी मां से बिछुड़ा लाल मुद्दतों बाद मिला हो। बाद में वो सामान्य हुए और बताया कि इस जगह बैठकर वो कभी भजन गया करते थे। इसके बाद हसन साहब एक बार और आए। उन्होंने गांव में बनी दादा इमाम खान व मां अकमजन की मजार की मरम्मत करवाई थी। उनकी सादगी का एक किस्सा कल परसों ही पता लगा। साथी पत्रकार रमेश जी सर्राफ के एफबी पर झुंझुनूं के जनाब ख्वाजा आरिफ ने एक फोटो पोस्ट करते हुए लिखा कि वो इतने सादगी पसंद थे कि हमारे कहने पर फोटो स्टूडियो आ गए और हमारे साथ फोटो खिंचवाई। बीमारी के चलते हसन ने गायकी काफी पहले छोड़ दी थी। बीच बीच में उनके स्वास्थ्य में गिरावट की खबरें आती रही। जब जब भी सरहद के उस पार से उनकी तबीयत नासाज होने की खबरें आती तब तब सरहद के इस पार वाले उनके कद्रदान भी चिंतित हो उठते। हसन साहब के स्वास्थ्य की सलामती के लिए न जाने कितनी ही प्रार्थनाएं और दुआएं की गईं। उनके गिरते स्वास्थ्य को लेकर लूणा क्या सोचता है, वहां किसी को चिंता है या नहीं है, यह सब देखने और जानने 2010 में एक बार मैं भी लूणा गया था। लूणा में दो उपेक्षित मजारों के अलावा हसन साहब का कुछ नहंी है। न घर, न खेत। हां एक बुजुर्ग मिले थे, जिनको ग्रामीणों ने हसन साहब के बचपन का साथी बताया लेकिन उम्र के इस पड़ाव में उनकी याददाश्त भी जवाब दे चुकी थी। उनको कुछ याद न था। मैं इस बीच छत्तीसगढ़ चला गया तो 2011 में एक बार फिर स्वास्थ्य खराब होने की खबर आई। फिर वही दुआओं व प्रार्थनाओं का दौर। खैर, 2012 में 13 जून को हसन साहब इस जहां से रुखसत हो गए। शाम को बिलासपुर, छत्तीसगढ़ कार्यालय से जयपुर फोन लगाकर अपनी भावनाओं से अवगत कराया कि हसन साहब पर कुछ लिखना चाहता हूं। जवाब मिला आप बहुत लेट हैं। यह काम दिन में हो जाना चाहिए भी। फिर भी आपने जो लिखा है वह भेजिए। मैंने हसन साहब के बारे में आलेख लिखा और जयपुर कार्यालय को मेल कर दिया। रात को जब हसन साहब पर पेज बनकर आया तो उस पर मेरा भी लेख लगा था लेकिन काफी संपादित होकर बिना नाम के। इस पूरे लेख को मैंने अपने ब्लॉग बातूनी
(https://khabarnavish.blogspot.com/2012_06_14_archive.html ) पर भी लगाया। इसका शीर्षक था मोहब्बत करने वाले कम न होंगे...आज हसन साहब की पुण्यतिथि है, उनकी मखमली आवाज गजल-गीतों के गुणग्राहकों के लिए अनमोल थाती है, जो हमेशा हमेशा जिंदा रहेगी।

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