Saturday, June 30, 2018

पुरुष का मायका

बस यूं ही
'महिला की वास्तविक खुशी पति या ससुराल नहीं बल्कि मायका होता है।' करीब दर्जन भर शब्दों का यह वाक्य तीन दिन पहले मैंने अपने एफबी बॉल पर लगाया था। पिछले दो दिन से यह एक वाक्य बहस का विषय बना हुआ है। किसी ने मेरी बात के समर्थन में तो किसी ने इससे इतर अपनी बात रखी। एक दो ऐसे भी जो जिन्होंने इसको मजाक का हिस्सा भर ही माना। खैर, बहस गंभीर होती दिखाई दी तो मुझे बीच में हस्तक्षेप कर यह कहना भी पड़ा कि 'एक सहज और सामान्य बात को व्यक्ति विशेष से ना जोड़ा जाए......। दूसरी बात अपवाद कभी बहस के दायरे में नहीं आता..तीसरी बात...मायके की खुशी से तात्पर्य है जब तक मां बाप जिंदा रहते हैं तब खुशी ज्यादा होती है।' दरअसल, मैंने यह सब क्यों लिखा? कैसे लिखा? किसलिए लिखा? यह सब राज रह भी नहीं पाया है क्योंकि श्रीमती ने अपने पिताश्री के साथ बिलकुल डेढ़ इंच मुस्कान वाली फोटो कमेंट में पोस्ट करके यह जाहिर भी कर दिया। वैसे सच्चाई यही है कि यह विचार मेरे मन डेढ इंच वाली फोटो देखकर ही आया था। खैर, कमेंट आने का सिलसिला जारी है। लेकिेन मेरी बात का समर्थन करने वालों की सूची लंबी देख आखिरकार श्रीमती का धैर्य जवाब दे गया हालांकि उसने शुरू में इस बात को गंभीरता से नहीं लिया था। अंतत: उसको कहना पड़ा कि 'और पुरुष जो पूरे साल मायके (यानी के अपनी माँ के पास) में रहते हैं फिर भी मन तृप्त नहीं होता उनका और उनके माता पिता का..... महिलाओं की चार दिन की खुशी पर बयानबाज़ी ठीक नहीं होती।' हालांकि श्रीमती के जवाब के प्रत्युत्तर में मैंने अपना पक्ष लिखा 'मैंने पहले ही कहा था अपवाद बहस में शामिल नहीं है.....सभी ने हमारी धर्मपत्नी के मायके जाने की बात को इससे जोड़ दिया....और हमारी श्रीमती ने भी....जबकि यह सामान्य या कॉमन बात कही है मैंने।' खैर, हास-परिहास, व्यंग्य-विनोद जीवन का हिस्सा है लेकिन इस मजाक व एक तरह से चुहलबाजी वाली पोस्ट में एक नया शब्द मिला। और वह शब्द है 'पुरुष का मायका।' जैसे पुरुष का ससुराल अर्थात पत्नी का मायका की तर्ज पर पत्नी का ससुराल मतलब पति का मायका। इस शब्द ने मुझे क्लिक किया। सोचा इस शब्द की कुछ खोज खबर ली जाए। गूगल बाबा से भी सर्च कर लिया लेकिन यह पुरुष का मायका कहीं पर भी नहीं मिला। आखिरकार मोटा मोटा यही समझा कि पत्नी का ससुराल ही पति का मायका होता है। दिक्कत यहां भी खड़ी हो गई। चलों मैं तो माता-पिता के साथ ही रहता हूं, इसलिए जहां सास-ससुर वहीं ससुराल। श्रीमती ने कोष्ठक में लिखकर कि 'यानि की अपनी मां के पास' कह कर स्पष्ट भी कर दिया। फिर भी इस नाम से कुछ सवाल तो जेहन में कौंधै। मसलन. सास-ससुर गांव में हो और पति-पत्नी शहर में हो तो फिर पुरुष का मायका कौनसा हुआ। या फिर पत्नी सास-ससुर के पास हो और पति अकेला कमाए तो पुरुष का मायका कहां हुआ। इतना ही नहीं अगर पति-पत्नी दोनों कमाते हों और अलग अलग रहते हों तो फिर किसका मायका कहां और ससुराल कहां। यह सवाल मेरे मन को मथ रहे हैं। कहीं आपको इस पुरुष वाले मायके का जवाब मिले तो बताइएगा जरूर।

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