Saturday, June 30, 2018

दोहे-4


1.
पथराई आंखें, रही पथ निहार
उम्र बीत चली, कर कर इंतजार
2.
ओलूं आवै औलाद की
मैं जोऊं बां री बाट
आंख्या मं दिन कटै
इंतजार मं रात...
3.
वैधव्य, बुढापा व इंतजार
बने जीवन के हैं आधार
4.
याद सतावै, घणी रुवावै
कुण बंधावै धीर
बाट देखतां बूड्ढी होगी
बोझ बण्यो शरीर
5.
पर्वत सा इंतजार
लबों पर आहें
उम्मीद में आंखें
तक रही है राहें
6.
देहरी ऊपर बैठ डोकरी
कर री सोच बिचार
बाट देखतां उम्र बीतगी
मिलसी कद अधिकार
7.
अंतिम घड़ी अब आयगी
लेबा आसी राम
यादां मं कटी जिंदगी
करयो न कदै आराम
8.
भले बुढापा आ गया
फिर भी है विश्वास
सुध लेने वो आएगा
जो है मेरा खास
9.
चलती रही तू सदा
किया न कभी आराम
अब बुढापा आ गया
सूझे न कोई काम
10.
माथै हाथ लगा डोकरी
घणी रही पछताय
कुण सुणैगो दर्द सांवरा
बात समझ ना आय

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