Wednesday, January 15, 2014

जग के नहीं, 'पैसों' के नाथ


पुरी से लौटकर-17


वाकई पत्थरों की नक्काशी को शब्दों में बांधना बड़ा मुश्किल काम है। मंदिर को मध्यकाल के स्थापत्य की अद्वितीय वास्तुकला का केन्द्र माना जाता है। दुनिया भर में विख्यात इस सूर्य मंदिर का नक्शा एक रथ को केन्द्र में रखकर बनाया गया है। मंदिर के पत्थरों पर कई तरह की मिथुन मुद्राएं बनाई गई हैं। इसके अलावा युगल रति दृश्य भी उकेरे गए हैं। पत्थरों की नक्काशी में कला पक्ष का भी खासा ध्यान रखा गया है। यहां की दीवारों पर कई नर्तकियों एवं वाद्यवादकों को दिखाया गया है। मनुष्य जाति के अलावा हाथियों, वनस्पतियों, प्राकृतिक दृश्यों व जीव जंतुओं आदि को भी सुंदर तरीके से उकेरा गया है। इसके अलावा कोणार्क मंदिर का नाट्यमंडप भी अपने आप में अनूठा है। इस नृत्य मंडप में नृत्य करते हुए फोटो खिंचवाना हर नृतक/नृतकी का सपना रहता है। वैसे कोणार्क सूर्य उपासना का प्रधान पीठहै। पुरी से यहां पर समुद्र के किनारे होकर जाना पड़ता है। यहां से पुरी करीब 36 किमी है तो कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण उत्कल नरेश लांगुला नरसिंह देव ने कियाथा। 12 सौ शिल्पियों की कड़ी मेहनत से 12 साल के राजस्व खर्च से इस मंदिर का निर्माण कार्य सम्पन्न हुआ था। कोणार्क मंदिर में तीन आकृति के सूर्यदेवता है। मंदिर के दक्षिण की ओर सूर्य देवता को उदित सूर्य देव जिसकी ऊंचाई 8.3 फीट, पश्चिम की ओर को मध्यान्ह सूर्यजिसकी ऊंचाई 9.6 फीट और उत्तर की ओर सूर्य देव को अस्त सूर्य करते हैं। इसकी ऊंचाई 3.49 मीटर है। कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण एक रथ समान सूर्यदेव के लिए बनाया गया है। इसमें 24 पहिये (चक्र) हैं। हर पहिये में आठ आरा हैं और इनका व्यास 9.9 फीट है। सभी पहिये उत्कृट शिल्प कला से भरपूर हैं। मंदिर के दक्षिण की ओर अलंकार से भूषित दो भडकिला योद्धा घोड़े हैं। हर घोड़े की लम्बाई 10 फीट और चौड़ाई सात फीट है। इन घोड़ों को ओडिशा सरकार ने अपनी सरकारी मोहर के रूप में भी स्वीकार किया है। मंदिर की पूर्व दिशा में दो ऐश्वर्यपूर्ण सिंहों ने दो हाथियों को दबा रहा है। यह मुख्यद्वार है। इसकी लम्बाई 8.4 फीट, चौड़ाई 4.9 फीट, ऊंचाई 9.2 फीट और वजन 27.48 टन है। गौर करने लायक बात यह है कि यह कलाकृतियां एक पत्थर से बनाई गई है। बताया जाता है कि मंदिर में प्रयुक्त कोणार्क में नहीं मिलते, इनको बाहर से मंगवाया गया था। मंदिर की मूर्तियां लेहराइट, क्लोराइट व खोण्डोलाइट नामक पत्थरों से बनाई गई है। खैर, हम घूम फिर कर मुख्य मंदिर के सामने खड़े थे, तभी एक फोटोग्राफर फिर से आया और कहने लगा कि वह आपके कैमरे से मात्र पांच रुपए में फोटो खींच लेगा। दरअसल वह एंगल बनाने के नाम पर ही पैसे ले रहा था। हमारे कैमरे से हमारे फोटो खींचे और पैसे भी ले लिए। मंदिर की बगल में नवग्रह मंदिर बनाया गया है लेकिन मेरे को वह मंदिर प्राचीन नहीं लगा लिहाजा उसमें जाना उचित नहीं समझा। नवग्रह मंदिर के ठीक सामने एक आईसक्रीम वाला बच्चों को दिखाई दे दिया.। बस बच्चे तो लगे फिर मचलने... जारी है।

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