Wednesday, January 15, 2014

जग के नहीं, 'पैसों' के नाथ


पुरी से लौटकर-30

 
वहीं मंदिर परिसर में एक वृद्ध महिला दिखाई दी, जो बर्तन को धोने में व्यस्त थी। आश्वर्य की बात यह थी कि सारे बर्तन पत्थरों के बने हुए थे।
इसके बाद ऑटो वाला, जिसका नाम दिलीप था, हमको गुंडिचा मंदिर ले गया.. । गुंडिचा मंदिर का दूसरा नाम जनकपुर भी है। यह श्री मंदिर से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर उतर दिशा में है। मंदिर की लम्बाई 430 फीट है और चौड़ाई 320 फीट है। राजा इन्द्रद्युम्न की रानी गुंडिचा के नाम पर इस मंदिर का नाम गुंडिचा रखा गया है। श्री जगन्नाथ महाप्रभु की रथ यात्रा से बाहुड़ा यात्रा (वापसी यात्रा) तक श्री मंदिर को छोड़कर यहां आकर रहते हैं। वैसे इस मंदिर को महावेदी भी कहा जाता है। यह नाम इसीलिए पड़ा क्योंकि यहां राजा इन्द्रद्युम्न ने वेदी बनाकर अश्वमेध यज्ञ किया था। यहां पांच सौ वर्षों तक आहुति देने के कारण इसे यज्ञ मंडप भी कहते हैं। विग्रहों का मूल जन्म स्थान होने के कारण इसे जनकपुरी या जन्मस्थान भी कहते हैं। बताते हैं कि इस जगह को जनकपुरी इसीलिए भी कहते हैं क्योंकि इस क्षेत्र में राजा जनक ने हल जोतते समय सीता माता को प्राप्त किया था। इसके अलावा इसको नृसिंहक्षेत्र व आड़पमंदिर आदि भी कहा जाता है।
खैर, यहां भी टिकट कटाने के बाद ही अंदर जाने दिया जाता है। हमने चार टिकट खरीदी थी। काउंटर पर टिकट चैक करने वाला युवक अड़ गया, बोला बच्चों का भी टिकट लगता है। मैंने एवं गोपाल जी ने उससे बहस न करते बच्चों एवं धर्मपत्नियों को अंदर भेज दिया। फिर मन में ख्याल आने लगे कि दर्शन के लिए भी टिकट, मंदिर ना हुआ कोई सर्कस या फिल्म हो गई। खैर, अचानक मेरे को शरारत सूझी। मैंने गोपाल जी से कहा कि सामने यह जो बोर्ड टंगा है, इसकी एक फोटो ले लो। गोपाल जी ने जैसे ही क्लिक किया, वह युवक दौड़ कर हमारे पास आया, बोला यहा फोटो खींचना मना है। वैसे टिकट लेकर अंदर जाने वालों को कोई पूछ ही नहीं रहा था लेकिन हमसे वह चिढ़ा हुआ था, लिहाजा फोटो खींचने से मना कर रहा था। बोर्ड पर चार भाषाओं, हिन्दी, अंग्रेजी, बांग्ला एवं उडिय़ा में दिशा- निर्देश लिखे थे। हिन्दी में लिखा था कि अंदर क्यामेरा ले जाना मना है लेकिन अंग्रेजी में इसका कहीं पर कोई उल्लेख नहीं था। हमारी बहस इसी बात को लेकर थी..। बहस बढ़ी तो दो युवक और आ गए। वो तीन और हम दो। मैंने उन दोनों से कहा कि आपको बीच में बोलने की जरूरत नहीं है, हमारी बात आपसे नहीं है। तो बोले.. हम सब स्टाफ सदस्य हैं। हमने कहा कि जब कैमरे के संबंध में कुछ लिखा ही नहीं है तो लोग क्यों बेवजह मामले को तूल दे रहे हो। इतने में एक युवक बोला, आपको उडिय़ा आता है क्या? मैंने असहमति में सिर हिलाया तो वह खुशी से उछल पड़ा और कहने लगा. आपको उडिय़ा नहीं आता है और हमको हिन्दी। हमारी उडिय़ा में लिखा है कि कैमरा ले जाना मना है। इस पर मैंने युवक से अंग्रेजी भाषा की तरफ ध्यान दिलाया तो कहने लगा कि हमको और किसी भाषा से मतलब नहीं है। हमको उडिय़ा आता है बस। हमारी युवकों के साथ बहसबाजी जारी थे कि इसी दौरान धर्मपत्नी एवं बच्चे बाहर आते दिखाई दिए। ... जारी है।

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