Wednesday, May 20, 2015

आज हिन्दी दिवस है...


बस यूं ही

हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आज न केवल समाचार पत्र रंगे हुए थे बल्कि परिचितों के मोबाइल पर संदेश भी मिल रहे थे। फेसबुक और वाट्स एप भी हिन्दी दिवस के गुण गाए जा रहे हैं। हिन्दी दिवस को लेकर मेरे विचार कुछ अलग हैं। शाम को घर पर लेटे-लेटे कुछ विचार आए बस उनको तुकबंदी कर कविता का रूप दे दिया.. आप भी देखें..। 

सुना है, आज हिन्दी दिवस है,
खूब आयोजन-प्रयोजन होंगे।
हिन्दी को आगे बढ़ाने,
कई बातें और भाषण होंगे।
हिन्दी की महिमा और महत्ता
का आज बखान होगा।
सुबह से लेकर शाम तक
बस हिन्दी का ही गुणगान होगा।
अंग्रेजी के दीवाने आज,
हिन्दी में कविता सुनाएंगे।
तालियां बजवाकर श्रोताओं से,
अपना हिन्दी प्रेम दिखलाएंगे।
आयोजक भी वाह-वाह कर
खूद का धन्य समझेंगे ।
एक दिन के बाद ये तो,
फिर अगले साल ही गरजेंगे।
ऐसा साल में बस,
एक बार ही होता है।
जब समूचा देश,
हिन्दी की शान में
कई कशीदे गढ़ता/पढ़ता है।
लेकिन मैं कभी ऐसे,
दिवसों में विश्वास नहीं करता।
न किसी को बधाई देता,
और ना किसी की स्वीकारता।
क्योंकि मैं रोज ही,
हिन्दी बांचता हूं।
सफेद पन्नों पर ही नहीं,
कल्पनाओं में भी हिन्दी मांडता हूं।
हिन्दी मेरे खून में,
हिन्दी ही मेरा स्वभाव है।
मैं हिन्दी का मुरीद सदा,
मुझ पर हिन्दी का ही प्रभाव है।
हर सांस मेरा हिन्दी का,
हिन्दी का मेेरे पर उपकार हैं।
हर जन्म में मिले हिन्द/हिन्दी
परवरदिगार से विनती बार-बार है।
हिन्दी गौरव देश का,
हम सब की शान है।
बोलूंगा सदा ही हिन्दी,
जब तक जी में जान है।
.....जय हिन्द.... जय हिन्दी..।

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