Wednesday, May 20, 2015

महिला सशक्तिकरण

छठी कहानी

कई दिनों से उनके मन में महिलाओं से जुड़े कार्यक्रम के आयोजन की रूपरेखा बन और बिगड़ रही थी। आखिरकार एक दिन फाइनल कर ही दिया गया। क्लब की अध्यक्ष होने के नाते बाकायदा प्रेस नोट तैयार करवाया गया। समाचार-पत्रों के दफ्तरों में मेल किए गए। फिर प्रेस नोट लेकर काशिद भी आया। कार्यक्रम के तहत क्लब का शपथ ग्रहण होना था और साथ में महिला सशक्तिकरण पर कुछ विशेष व्याख्यान। अचानक मेरे मोबाइल की घंटी बजी। रिसीव किया तो सामने वाले सज्जन ने बड़ी आत्मीयता के साथ अपना परिचय दिया। कहने लगे श्रीमती कल महिलाओं से जुड़ा एक कार्यक्रम करवा रही है। कृपया न्यूज लगा देना तथा बाद में कार्यक्रम का कवरेज हो जाए, बस इतनी सी गुजारिश है। सज्जन एक सरकारी विभाग में बड़े आेहदे पर कार्यरत हैं, लिहाजा मैंने हां बोलकर उनको संतुष्ट किया। इसके बाद तो जेहन में विचारों का जैसे ज्वालामुखी ही फट पड़ा। वाह रे महिला सशक्तिकरण।

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