Wednesday, May 20, 2015

सिर्फ घोषणा से नहीं बनेगी बात

 टिप्पणी

स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ हैल्थ एंड फैमिली वेलफेयर (एसआईएचएफडब्लू) के सर्वे में बीकानेर जिले में तम्बाकू निषेध अधिनियम (कोटपा) की पालना 85 प्रतिशत से अधिक पाई गई है। इस कारण जिले को 'स्मोक फ्री घोषित करने की अनुशंसा की गई है। बीकानेर स्थापना दिवस 20 अप्रेल को इसकी बाकायदा घोषणा भी होगी। बीकानेर के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ जाएगी। वैसे, इससे लोगों को खुशी कम आश्चर्य ज्यादा हुआ। सोशल मीडिया पर तो कुछ ने इसे 'मजाक करार दे दिया। इसकी वजह भी है। दरअसल, ऐसी उपलब्धियों का इतिहास ही ऐसा है कि यकायक विश्वास करना भी संभव नहीं है। शहर में कदम-कदम पर बीड़ी-सिगरेट एवं गुटखों की दुकानें हैं। इतना ही नहीं प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी धूम्रपान की सामग्री की बेरोकटोक आवक होती है। अस्पताल जैसे संवदेनशील क्षेत्र भी अछूते नहीं है। रात भर शहर में कई जगह शराब के ठेके तक आबाद रहते हैं। ऐसे में सवाल है कि सर्वे कहां एवं किन परिस्थितियों में हुआ।
खैर, बीकानेर जिला 'स्मोक फ्री होना तो तय है। इस तरह की 'उपलब्धि की परम्परा आगे भी बरकरार रहे इसके प्रयास होने चाहिए। क्योंकि जनहित में बने कुछ कानूनों का हश्र ऐसा ही है। बीकानेर शहर में पॉलिथीन प्रतिबंधित है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर कोई रोक नहीं है। कुछ यही हाल हेलमेट का है। हेलमेट सभी के लिए अनिवार्य है। हाल ही में संभाग मुख्यालयों पर तो पीछे बैठने वाली सवारी के लिए भी इसे अनिवार्य कर दिया है लेकिन बीकानेर में इसकी पालना होती दिखाई नहीं देती। कुछ इसी तरह के हालात शहर को साफ एवं सुंदर बनाने के लिए की गई घोषणाओं के हैं। बीकानेर को ग्रीन, क्लीन और बेटर बनाने की न जाने कितनी ही घोषणाएं हुईं लेकिन मुकाम तक एक भी नहीं पहुंची। ओवरफ्लो नालियां, सड़क पर सीवरेज का पानी, स्वच्छन्द विचरण करते आवारा पशु जैसे कई उदाहरण हैं जो शहर की बदहाली को बयां करते हैं।
बहरहाल, बीकानेर जिले को 'स्मोक फ्री की अनुशंसा पर खुश हुआ जा सकता है लेकिन यह खुशी क्षणिक है। तात्कालिक है। केवल श्रेय भर लेने तक सीमित है। कितना अच्छा हो कि आमजन के हित में जो कानून बने हैं, जो घोषणाएं हुई हैं, उनमें औपचारिता कतई नहीं हो। नियमों की ईमानदारी से पालना हो। उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई का डंडा समान रूप से चले। अगर ऐसा कुछ होता है तब तो 'स्मोक फ्री होने का कुछ मतलब भी है। सिर्फ घोषणा कर वाहवाही लूटने से मकसद हल नहीं होने वाला।

राजस्थान पत्रिका बीकानेर के 14 अप्रैल 15 के अंक में प्रकाशित 

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