Friday, December 25, 2015

मेरा सलाम

चांद नवाब चावड़ा जैसे किरदार मौजूदा दौर में कम ही मिलते हैं। तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद चांद ऐसा काम कर दिखाता है जो वर्तमान की कड़वी हकीकत है। वह नफरतों के बाजार में मोहब्बत बेचने का प्रयास करता है लेकिन अफसोस उसे कोई खरीदार नहीं मिलता। लेकिन वह हार नहीं मानता। इंसानियत एवं मोहब्बत की खातिर अवाम को जगाने के लिए वह अपनी जान से खेलने में भी गुरेज नहीं करता। जी हां यह कहानी हालिया प्रदर्शित फिल्म बजरंगी भाईजान में उस पाकिस्तानी पत्रकार की है, जो हुकमरानों द्वारा बोई गई नफरत की फसल के बीच मोहब्बत का पौधा लगाने का प्रयास करता है। वह एक टीवी चैनल का छोटा सा स्ट्रिंगर है लेकिन उसका जज्बा बहुत बड़ा है। सचमुच पत्रकार होने के नाते चांद के किरदार ने मेरे को बहुत ज्यादा प्रभावित किया। मेरी आंखों में भी उस वक्त आंसू थे, जब चांद की आवाज को न केवल शिद्दत के साथ सुना जाता है बल्कि उसे स्वीकार भी किया जाता है। सच में यह खुशी के आंसू थे। यह चांद की जीत के आंसू थे। न केवल फिल्मी दुनिया बल्कि हकीकत में भी एेसे चांद हैं। आखिर ऐसे किरदारों के दम पर ही तो ईमानदारी एवं खुद्दारी जिंदा है। मानवता एवं इसांनियत के लिए कुछ कर गुजरने वाले ऐसे तमाम चांदों को मेरा सलाम।

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