Friday, December 25, 2015

घालमेल

मेरी नौंवी कहानी

जंगल में खरगोश की गिनती फुटकर कहानी कविता लिखने वालों में होती थी। हाथी से दोस्ती के बाद तो खरगोश के दिन ही फिर गए। हाथी की जान पहचान जंगल के अच्छे लेखकों से थी और इसी के बलबूते खरगोश को सम्मानित करवा दिया। इसके बाद तो खरगोश ने जंगल में खूब नाम कमाया। तभी तो जंगल में लेखन से जुडे लगभग सभी कार्यक्रमों में खरगोश को बुलाया जाने लगा। अब तो खरगोश नवागंतुक लेखकों का हीरो बन गया। विशेषकर जंगल की कई लेखिकाएं खरगोश से बेहद प्रभावित थी। खरगोश मौके की नजाकत ताडने में माहिर था। उसने नई नवेली लेखिकाओं के लिए कुछ कहानी व कविताएं लिखकर जंगल में प्रकाशित होने वाले कुछ पत्र पत्रिकाओं में छपवा दी। बतौर लेखक नाम भी नई नवेली लेखिकाओं के ही थे। बस फिर क्या था, जंगल में लेखकों की भीड बढती गई। एक-एक कथित कहानी लिखने वाले भी लेखकों की सूची में शुमार होते गए। एक दिन घोडे के हाथ जंगल का एक अखबार लगा। अखबार में गिलहरी के नाम से प्रकाशित कहानी देखकर घोडा सोच में डूब गया। आकर्षक नयन नक्श वाली जो गिलहरी ठीक से शुद्ध हिन्दी लिख नहीं पाती थी, उसने लेखन में कलम तोड रखी थी। घोडा यह घालमेल समझ नहीं पा रहा था। वह सोच में डूबा था। जानवरों ने भी इंसानों की फितरत को अपना जो लिया था।

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