Friday, December 25, 2015

जिज्ञासा


बस यूं ही
बच्चों के स्कूल में वार्षिकोत्सव 31 व एक को है। पहले दिन छोटे वाले का तो दूसरे दिन बड़े का। दोनों वार्षिकोत्सव में भाग ले रहे हैं, लिहाजा उनके लिए बाजार से ड्रेस किराये पर लेने गया था। ड्रेस लेकर लौट रहा था। होटल ढोला मारू के आगे से निकले तो छोटे बेटे एकलव्य ने पूछा यह क्या है। मैंने बताया कि होटल का नाम है। तो कहने लगा कि ढोला मारू भी कोई नाम होता है क्या। मैंने टालने वाले अंदाज में बताया कि ढोला मारु पति-पत्नी थे। वह बोला, तो वो इतने प्रसिद्ध कैसे हो गए जिनके नाम पर होटल का नाम पडा। मैं सोच में डूब गया कि क्या जवाब दूं। तभी उसने अगला सवाल दागा पापा मेरी क्लास में एक लड़का है वह अपने नाम के आगे मारू लगाता है, वह कौन है। मैंने कहा यह मारू तो सरनेम है। और वह मारू नाम था। वह फिर बोला पापा किसी का नाम मारू हो और वह सरनेम मारू लगाए तो मारू-मारू हो जाएगा ना। मैं उसकी बातों पर हंसने लगा, लेकिन मन ही मन उसके सवालों एवं जानने की इच्छा पर सोच रहा था। वाकई बच्चे कितने जिज्ञासु होते हैं।

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