Thursday, November 16, 2017

मिलीभगत का खेल

टिप्पणी 
इससे बड़ी पोलपट्टी क्या होगी कि सरेआम गुणवत्ताहीन टाइल्स लगा दी जाए। वह भी कोई तीसरी ही एजेंसी, जिसका ठेका ही नहीं है। यह तो गनीमत रही कि व्यापारियों ने हंगामा कर दिया, वरना यह गुणवत्ताहीन टाइल्स लगाकर भुगतान उठा लिया जाता। विरोध का परिणाम यह रहा कि न केवल निर्माण कार्य रोक दिया गया बल्कि टाइल्स के तीन नमूने लेकर सावर्जनिक निर्माण की लैब से जांच भी करवाई गई। मामला श्रीगंगानगर के बीरबल चौक से टी प्वाइंट तक लगाई इंटरलोकिंग से जुड़ा है और मंगलवार को अनियमितता का खुला खेल सामने आया।
हालांकि, नगर परिषद आयुक्त ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। विभाग की किसी प्रकार की कोई अनियमितता पकड़ में आने पर इस तरह के बयान अक्सर सामने आते हैं। जांच में क्या निकला, कार्रवाई किस पर हुई तथा कब हुई? यह बातें शायद ही कभी सामने आती हैं या बताई जाती हैं। बड़ी बात तो यह है कि जो गड़बड़ पकड़ी गई है, उसी ठेकेदार को 15 दिन पहले भी टाइल्स लगाने को लेकर विवाद हुआ था। अगर जांच व कार्रवाई होती तो शायद वह इस तरह की हिमाकत नहीं करता। दरअसल, इस तरह के काम बिना मिलीभगत या शह के संभव नहीं हो सकते। भला यह कैसे संभव है कि ठेकेदार बिना किसी डर सरेआम इस तरह का काम कर जाए। जरूर उसको ऊपर से किसका संरक्षण मिला है। यकीनन इसमें परिषद के किसी न किसी अधिकारी-कर्मचारी का संलिप्तता है। इसलिए इस मामले की गंभीरता एवं ईमानदारी के साथ जांच होनी चाहिए ताकि शह व मिलीभगत का खेल खेलने वालों के गिरेबान तक पहुंचा जा सके। उनको दंडित किया जा सके।
और इधर व्यापारियों की हिम्मत की भी दाद देनी होगी। वे अगर विरोध न करते तो यही गुणवत्ताहीन टाइल्स लगा दी जाती। दरअसल, व्यापारियों की तरह आमजन भी अपने आसपास होने वाले विकास कार्यों पर पैनी नजर रखनी शुरू कर दी तो फिर किसी ठेकेदार की मजाल नहीं कि वह उनकी आंखों में धूल झोंक दे। भले ही ऊपर किसी से भी सांठगांठ रखे लेकिन जनता जनार्दन के सामने उसकी दाल नहीं गलेगी। आमजन को इसलिए भी जागरूक होना चाहिए कि उनके आसपास जो काम हो रहा है, वह उनके ही काम आना है तो क्यों न वह काम गुणवत्ता से परिपूर्ण हो। इसलिए जिस तरह हम घर के कामों में निगरानी रखते हैं, वैसे सार्वजनिक विकास के कामों पर रखनी शुरू कर दी तो तय मानिए आधा भ्रष्टाचार तो वैसे ही खत्म हो जाएगा। क्योंकि, जनता की चुप्पी व उदासीनता भी भ्रष्टाचार को पनपाने की एक बड़ी वजह है।

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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 19 अक्टूबर 17 के अंक में प्रकाशित 

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