Tuesday, November 14, 2017

मन की बात.....8


यह तो बात थी जीवन दर्शन से ओत प्रोत गीत की, जिसमें मन की खूबसूरती से व्याख्या की गई। खैर, गानों में मन की बात चल रही थी। वैसे गीतों में मन का जिक्र बहुत बार आया है। इसकी सूची छोटी नहीं है। नागिन फिल्म का यह गीत तो आज भी जहां कहीं बजता है तो सचमुच अच्छे-अच्छों का तन-मन डोलने लगता है। 'मेरा मन डोले, मेरा तन डोले, मेरे दिल का गया करार रे, अब कौन बजाए बांसुरिया...।' सचमुच में इस गीत को कितनी बार ही सुनो मन प्रफुल्लित हो उठता है। मन टाइटल वाले कुछ गीतों पर नजरें डाली जाए तो यह एेसे गीत हैं जो मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालते हैं। बात चाहे 'मन रे तू काहे न धीर धरे.. ' की हो या फिर 'मीत न मिला रे मन का ..' की हो। इस तरह आमिर की तो एक फिल्म का नाम ही मन था। इसी फिल्म का टाइटल गीत 'मेरा मन क्यों तुझे चाहे.. ' भी खूब सुना गया था। बहरहाल, गीतों में मन का जिक्र आता ही रहा है कभी मुखड़े में तो कभी अंतरे में। यह गीत देखिए, कितना सुकून सा मिलता है इसको सुनकर। 'ओ रे मांझी, ओ रे मांझी, ओ ओ ओ ओ मेरे मांझी मेरे साजन हैं उस पार, मैं मन मार, हूँ इस पार, ओ मेरे मांझी अबकी बार, ले चल पार, ले चल पार..'

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